नई दिल्ली। जब से कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा की एनडीपीएस मामले में गिरफ्तारी हुई है, तब से पंजाब की राजनीति का सियासी तापमान अपने चरम पर पहुंच चुका है। यह कहना गलत नहीं होगा कि सुखपाल सिंह खैरा की गिरफ्तारी के बाद आप और कांग्रेस के बीच शीतयुद्ध शुरू हो चुका है। हालांकि, वो और बात है कि आप संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दो टूक कह दिया है कि वो इंडिया गठबंधन द्वारा बनाए गए सिद्धांतों का पालन करने के प्रति प्रतिबद्ध रहेंगे, लेकिन अंदरखाने सुखपाल सिंह खैरा की गिरफ्तारी ने बवाल मचा कर रख दिया है। वहीं, अब इस बीच एक ऐसी ही खबर सामने आई है, जो कि इस सियासी तूफान को और तेज कर सकती है। आखिर क्या है पूरा माजरा जानने के लिए पढ़िए हमारी ये खास रिपोर्ट।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपनी सरकार के खर्च और आय का पूरा ब्योरा जारी किया है, जिसके बाद मान सरकार सवालों के घेरे में घिर गई है। दरअसल, मान के पत्र से साफ जाहिर होता है कि उनकी सरकार अभी कर्ज के बोझ के तले दबी हुई है, जिसकी पुष्टि खुद मुख्यमंत्री ने अपने पत्र के माध्यम से की है। फिलहाल, उन्होंने यह पत्र राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को सौंप दिया है। बता दें कि इस पत्र में उनकी सरकार द्वारा किए गए खर्च और आय का पूरा विवरण समाहित है, जिससे साफ होता है कि पंजाब सरकार मौजूदा वक्त में कर्ज के बोझ के तले दबी हुई है।
Punjab CM Bhagwant Maan writes to Punjab Governor Banwarilal Purohit, giving details of the increase in debt by his Government.
Bhagwant Maan writes, “I would also urge upon you to convince Hon’ble Prime Minister to not only release the pending RDF but also accord a moratorium… pic.twitter.com/5WeQ3WmHlr
— ANI (@ANI) October 3, 2023
हालांकि, अभी तक इस पत्र पर राज्यपाल की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन सियासी विश्लेषकों का मानना है कि आगामी दिनों में इसे लेकर इंडिया गठबंधन में सियासी बवंडर आ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो सुखपाल खैरा के बाद यह पूरा मामला इंडिया गठबंधन के लिए चुनौती पैदा कर सकता है। सियासी विश्लेषकों की मानें तो इस पत्र के सार्वजनिक होने के बाद मान सरकार को कांग्रेस के तीखे सवालों का सामना करना पड़ सकता है, जिसका जवाब फिलहाल उनके पास नहीं है। अगर होता तो शायद आज ये नौबत नहीं आती।
उधर, इस बात को भी सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता है कि राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन के तले बेशक कांग्रेस और आप एक हो, लेकिन राज्य स्तर पर दोनों के हित अलग हो सकते हैं । अब ऐसे में जब लोकसभा चुनाव नजदीक हैं, तो उक्त मुद्दा दोनों दलों के बीच टकराव की वजह बनकर उभर सकता है। बहरहाल, अब यह पूरा माजरा आगामी दिनों में पंजाब की राजनीति में क्या कुछ असर डालता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।