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National Herald Case: राहुल गांधी से 30 घंटे हुई पूछताछ, सबसे मुश्किल सवाल पर दिया ये जवाब

National Herald Case: ये पूरा मामला नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़ा हुआ है। साल 1938 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा इसकी स्थापना की गई थी। अखबार का मालिकाना हक एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) के पास था जो कि दो अखबार को छापती थी।

नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से प्रवर्तन निदेशालय ED की पूछताछ में भी जारी है। राहुल को कल यानी शुक्रवार फिर से ED की पूछताछ का सामना करना होगा। इसे एक दिन पहले यानी बुधवार को राहुल ने ईडी अफसरों से एक दिन की मोहलत की मांग की थी जिसे अफसरों ने मान लिया था। बुधवार को राहुल गांधी से करीब 8 घंटे से ज्यादा पूछताछ की गई। इससे पहले सोमवार और मंगलवार को भी कांग्रेस नेता से पूछताछ हुई थी। अब तक करीब 30 घंटे के समय में ईडी के अफसर उनसे सवाल पूछ चुके हैं लेकिन राहुल गांधी के सवालों से अफसरों संतुष्ट नहीं हैं। ऐसे में लगातार उनसे पूछताछ कर रही है।

rahul gandhi at ed office 1

बताया जा रहा है बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राहुल गांधी से पूछताछ के दौरान एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) और इसका मालिकाना हक रखने वाली कंपनी यंग इंडियन (YI) से जुड़े फैसलों में उनकी निजी भूमिका के बारे में सवाल-जवाब भी किए गए। जिस पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ईडी को ये जानकारी दी कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की संपत्ति के यंग इंडियन के अधिग्रहण से जुड़े सभी तरह के लेनदेन कांग्रेस के पूर्व कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा (Motilal Vora) ही देखा करते थे।

RAHUL GANDHI

ईडी के सूत्रों की मानें तो पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीधे तौर पर यंग इंडियन द्वारा लिए गए किसी लोन आदि के बारे में किसी भी तरह की जानकारी होने से मना कर दिया। सूत्रों का ये भी कहना है कि राहुल गांधी ने इसके लिए जारी जिम्मेदारी कांग्रेस के पूर्व कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा पर डाली है जो कि अब जीवित नहीं है। बता दें, यंग इंडियन में राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी की 76 फीसदी हिस्सेदारी है और बाकी 24 फीसदी वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस (प्रत्येक 12 फीसदी) के पास है। वोरा और फर्नांडीस दोनों का ही क्रमशः दिसंबर 2020 और सितंबर 2021 में निधन हो चुका है।

rahul gandhi

गौरतलब हो कि ये पूरा मामला नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़ा हुआ है। साल 1938 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा इसकी स्थापना की गई थी। अखबार का मालिकाना हक एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) के पास था जो कि दो अखबार को छापती थी। पहला था नवजीवन और दूसरा उर्दू में कौमी आवाज। एजेएल को साल 1956 में गैर व्यावसायिक कंपनी के तौर पर स्थापित किया गया और कंपनी एक्ट धारा 25 से कर मुक्त कर दिया गया। इसके बाद धीरे-धीरे कंपनी घाटे में जाती रही। कंपनी पर 90 करोड़ का कर्ज भी चढ़ गया। इस कर्ज का सामना करने के दौरान साल 2010 में यंग इंडियन के नाम से एक अन्य कंपनी बनाई गई। जिसका 76 प्रतिशत शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास और मोतीलाल बोरा और आस्कर फर्नांडिस के पास बाकी का शेयर था। कांग्रेस पार्टी ने अपना 90 करोड़ का लोन जो नई कंपनी थी यंग इंडियन उसे ट्रांसफर कर दिया। इस वक्त लोन चुकाने में पूरी तरह असमर्थ द एसोसिएट जर्नल ने अपना सारा शेयर यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया। जिसके बदले में यंग इंडियन ने महज 50 लाख रुपये द एसोसिएट जर्नल को दिए। अब इस मामले में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की तरफ से एक याचिका दायर कर ये आरोप लगाया कि यंग इंडियन प्राइवेट ने केवल 50 लाख रुपये में 90 करोड़ वसूलने का उपाय निकाला जो कि नियमों के खिलाफ है।