नई दिल्ली। मोदी सरनेम को लेकर बदजुबानी करने के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब रांची हाईकोर्ट ने राहुल को आगामी 4 जुलाई को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा है। इससे पहले हुई सुनवाई में अधिवक्ताओं ने राहुल के पक्ष में बेशुमार दलीलें दीं, लेकिन उनके द्वारा दी गई एक भी दलील राहुल की मुसीबतें कम ना कर सकीं। बहरहाल, अब आगामी 4 जुलाई को कोर्ट का इस मामले में क्या रुख रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन आइए उससे पहले आपको हम पूरा माजरा विस्तार से बता देते हैं।
जानें पूरा माजरा
दरअसल, इस विवाद की शुरुआत 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान हुई थी, जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा को संबोधित करने के क्रम में मोदी सरनेम को लेकर अर्मादित टिप्पणी की थी, जिसके बाद पुर्णेश मोदी नामक शख्स ने राहुल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद मामला कोर्ट में पहुंचा और राहुल को 4 साल की सजा सुनाई गई। ध्यान दें कि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत, जब किसी राजनेता को किसी मामले में तीन साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है, तो उसकी लोकसभा सदस्यता स्वत: रद हो जाती है। कुछ ऐसा ही राहुल गांधी के साथ हुआ। उन्हें मोदी सरनेम मामले में चार साल की सजा सुनाई गई, जिसके बाद उनकी लोकसभा सदस्यता रद कर दी गई। इसके अलावा देश के कई अन्य हिस्सों में भी कांग्रेस नेता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी। आइए, अब आगे आपको बताते हैं कि उन्होंने आखिर कोलार में जनसभा को संबोधित करने के क्रम में क्या कह दिया था।
ऐसा क्या बोल गए थे राहुल गांधी
दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान राफेल सौदे का जिक्र कर मोदी सरकार पर निशाना साधने के क्रम में सवालिया लहजे में राहुल ने कहा था कि आखिर सारे मोदी चोर क्यों होते हैं ? उनके इसी कथन को मुद्दा बनाकर पुर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ पहले तो शिकायत दर्ज कराई और इसके बाद जब मामला कोर्ट में पहुंचा तो उन्हें चार साल की सजा सुनाई गई। ध्यान दें कि काग्रेस नेता वायनाड से सांसद थे, लेकिन उक्त मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद उनकी सदस्यता रद की जा चुकी है।