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National Herald Case: राहुल गांधी की बढ़ी मुश्किलें, ED ने शिकंजा कसते हुए जारी किया नया समन, जानिए क्या है पूरा मामला

National Herald Case: PMLA को 2002 में अधिनियमित किया गया था और 2005 में इसे लागू कर दिया गया। इस कानून का मकसद काले धन को सफेद में बदलने की प्रक्रिया यानी मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना है। इसके अलावा अवैध गतिविधियों और आर्थिक अपराधों में काले धन के इस्तेमाल को रोकना, मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे हांसिल संपत्ति को जब्त करना, मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दूसरे अपराधों को रोकना भी इस कानून का मकसद है।

नई दिल्ली। भारत देश में जब भी सबसे पुराने राजनीतिक दल का नाम आता है तो कांग्रेस को याद किया जाता है। एक समय था जब पार्टी की साख कुछ ऐसी थी कि इससे सामने किसी भी दल के अंदर सिर उठाने की हिम्मत नहीं थी। इस पार्टी में आज भी कई ऐसे दिग्गज मौजूद हैं जिन्होंने इस पार्टी के लिए अपनी पूरी उम्र ही बिता दी लेकिन वर्तमान में देखा जाए तो ये पार्टी अब कुछ एक राज्यों में बची हुई है। इन जगहों पर भी पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बात अगर इस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष रहे राहुल गांधी की करें तो इनका नाम और इनके दिए बयान अक्सर इन्हें चर्चा में ला देते हैं। कई मामलों में भी इनका नाम देखने को मिल चुका है। वहीं, अब एक बार फिर कांग्रेस नेता की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

rahul gandhi 1

बीते दिन ही केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को समन जारी किया था। ईडी ने राहुल गांधी को 2 जून और सोनिया को 8 जून को पूछताछ के लिए बुलाया था। हालांकि राहुल गांधी फिलहाल विदेश में हैं और सोनिया गांधी कोरोना कोरोना संक्रमित पाई गईं हैं। मसलन, अब ईडी ने मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए नया समन जारी किया है। इस नए समन के मुताबिक, अब राहुल गांधी को 13 जून को पूछताछ के लिए आना होगा। बता दें, नेशनल हेराल्ड के केस में गांधी परिवार इससे पहले भी कटघरे में आता रहा है। इस मामले में गांधी परिवार पर कई गंभीर आरोप हैं। ईडी ने इस मामले में Prevention of Money Laundering Act यानी पीएमएलए के तहत समन जारी किया है

क्या है नेशनल हेराल्ड केस

नेशनल हेराल्ड की स्थापना देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1938 में की थी। इसका मालिकाना हक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड कंपनी के पास है। कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को इसकी 90 करोड़ रुपये के कर्ज़ को अपने कंधों पर ले लिया था। इसका मतलब हुआ कि पार्टी ने इसे 90 करोड़ का लोन दे दिया। इसके बाद 5 लाख रुपये से यंग इंडियन कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया और राहुल की 38-38 फीसदी हिस्सेदारी है और बाकी की 24 फीसदी हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के पास थी। इसके बाद टीएजेएल के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर ‘यंग इंडियन’ कंपनी को दिए गए और इसके बदले यंग इंडियन को कांग्रेस का लोन चुकाना था। 9 करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को इस कंपनी के 99 फीसदी शेयर मिल गए। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने इस कंपनी को दिया 90 करोड़ का लोन भी माफ कर दिया। यानी ‘यंग इंडियन’ को मुफ्त में टीएजेएल का मालिकाना हक मिल गया।

National Herald Case

साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जल्द सुनवाई के लिए सुब्रमण्यम स्वामी से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने के लिए कहा था। 19 दिसंबर 2015 को सोनिया गांधी और राहुल गांधी को ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में जमानत दे दी थी। इसके बाद 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले को रद्द करने से इनकार करते हुए सभी 5 आरोपियों सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस और सुमन दुबे को कोर्ट में पेश होने से छूट दे दी थी। ये तो रही इस पूरे केस की बात अब आपको बताते हैं कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट क्या है?

PMLA को 2002 में अधिनियमित किया गया था और 2005 में इसे लागू कर दिया गया। इस कानून का मकसद काले धन को सफेद में बदलने की प्रक्रिया यानी मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना है। इसके अलावा अवैध गतिविधियों और आर्थिक अपराधों में काले धन के इस्तेमाल को रोकना, मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे हांसिल संपत्ति को जब्त करना, मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दूसरे अपराधों को रोकना भी इस कानून का मकसद है। इस कानून के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए कम से कम 3 साल की जेल और जुर्माना भी लग सकता है। अगर मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के साथ-साथ नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 से जुड़े अपराध भी शामिल हैं तो फिर ऐसे में जुर्माने के साथ 10 साल तक की सजा हो सकती है।