
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सभी राज्यों को पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) फिर से लागू करने की कोशिश पर चेतावनी दी है। आरबीआई ने राज्यों से कहा है कि वे ओपीएस को फिर लागू करने के बारे में कतई न सोचें। आरबीआई ने चेतावनी में कहा है कि अगर ओपीएस को फिर लागू किया, तो राज्यों का खर्च कई गुना बढ़ जाएगा और ये उनकी बर्दाश्त के बाहर होगा। बता दें कि कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने ओपीएस को फिर लागू करने का चुनावी मुद्दा बना रखा है। जिन राज्यों में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव जीते, वहां उसने ओपीएस को एक बार फिर लागू करने का वादा किया था। लोकसभा चुनाव के लिए भी कांग्रेस और विपक्षी दलों का गठबंधन ओपीएस को लागू करने का मुद्दा बनाए हुए हैं।
आरबीआई ने नई पेंशन योजना (एनपीएस) की जगह ओपीएस लागू करने के वादों पर चिंता जताते हुए कहा है कि जो राज्य ऐसा करेंगे, उनकी वित्तीय स्थिति खराब होगी। सरकारी खजाने पर इतना बोझ पड़ेगा कि ये बर्दाश्त से बाहर हो जाएगा। पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की विपक्षी सरकारों ने ओपीएस बहाल किया था। हिमाचल में भी कांग्रेस सरकार ने इसका वादा किया है। वहीं, कर्नाटक सरकार भी ओपीएस लाने की सोच रही है। आरबीआई के मुताबिक अगर सारे राज्य ओपीएस को फिर लागू करते हैं, तो उनपर खर्च का दबाव 4.5 गुना बढ़ जाएगा। इसका जीडीपी पर खराब असर होगा। ओपीएस लागू करने से साल 2060 तक अतिरिक्त खर्चा का जीडीपी पर बोझ 0.9 फीसदी तक पहुंचने के आसार बन जाएंगे। आरबीआई के मुताबिक ओपीएस फिर से लागू किया, तो पिछले आर्थिक सुधारों का फायदा खत्म हो जाएगा और आने वाली पीढ़ियों को नुकसान भी होगा।
अब तक जो सरकारी कर्मचारी ओपीएस के तहत हैं, उनमें से आखिरी 2040 की शुरुआत में रिटायर हो जाएंगे। इन लोगों को 2060 तक पेंशन उठाना ही है। साल 2004 में अटल बिहारी सरकार के दौर में ओपीएस की जगह एनपीएस लागू किया गया था। इसका पिछले कुछ समय से सरकारी कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। दिल्ली के रामलीला मैदान में भी बीते दिनों कर्मचारियों ने ओपीएस लागू करने की मांग के संबंध में बड़ी रैली की थी।