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Religion Conversion Case: दबाव या लालच देकर धर्मांतरण पर सुप्रीम कोर्ट गंभीर, कहा- इससे देश की सुरक्षा को बड़ा खतरा

Supreme Court : मामले में पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता ने जजों को बताया था कि लावण्या केस की जांच सीबीआई कर रही है इसलिए अब उस मांग पर सुनवाई की ज़रूरत नहीं है। इस तरह की घटनाओं के पीछे छुपे कारणों को खत्म करना जरूरी है।

नई दिल्ली। कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश के रायसेन जिले से बाल गृह में रह रहे कुछ हिंदू बच्चों का लालच देकर मुस्लिम धर्म में धर्मांतरण कराए जाने की खबरें सामने आई थी इसके बीच आज सुप्रीम कोर्ट ने धर्मांतरण को लेकर एक बेहद सख्त टिप्पणी की है। दबाव, धोखे या लालच से धर्म परिवर्तन को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर मामला बताया है। कोर्ट ने कहा कि यह न सिर्फ धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ बल्कि देश की सुरक्षा को भी खतरा पहुंचाने वाली बात है। कोर्ट ने अवैध धर्मांतरण के खिलाफ कानून की मांग पर केंद्र सरकार से 22 नवंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी।

supreme courtबता दें कि इस मामले पर सुनवाई करते हुए 23 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम आर शाह की अध्यक्षता वाली बेंच ने गलत तरीके से धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग पर नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने दबाव, लालच या धोखे से धर्म परिवर्तन करवाने वालों से सख्ती से निपटने की मांग की है। उन्होंने अपनी याचिका में दबाव के चलते आत्महत्या करने वाली लावण्या के मामले समेत दूसरी घटनाओं का हवाला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी करते समय इस बात को भी ध्यान में रखा कि हाल ही के समय में ऐसे कई जबरन धर्मांतरण की खबरें सामने आई हैं जो कि समाज में माहौल को बिगाड़ सकती हैं।

supreme courtआखिर क्या है लावण्या मामला?

गौरतलब है कि तमिलनाडु के तंजावुर में रहने वाली 17 साल की एक छात्रा द्वारा 19 जनवरी को कीटनाशक पीकर आत्महत्या कर ली गई थी। इससे ठीक पहले उसने वीडियो जारी किया था, इस रिकॉर्ड किए गए वीडियो में लावण्या ने साफ तौर पर कहा था कि उसका स्कूल ‘सैक्रेड हार्ट हायर सेकेंडरी’ उस पर लगातार ईसाई बनने के लिए दबाव बना रहा है। इसके लिए छात्रा का लगातार उत्पीड़न किया जा रहा था। इससे परेशान होकर वह अपनी जान देने जा रही है। इसके बाद इस पूरे मामले की जांच मद्रास हाई कोर्ट ने सीबीआई को सौंप दी थी तथा सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के आदेश को एकदम सही ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट इस बात को एक बार फिर दोहरा चुका है कि जबरन धर्मांतरण या लालच देकर धर्मांतरण गैरकानूनी है और इसे किसी भी तरीके से वैध नहीं ठहराया जा सकता।

सर्वोच्च न्यायालय का अवैध धर्मांतरण पर नोटिस

आपको बता दें कि इस मामले में पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता ने जजों को बताया था कि लावण्या केस की जांच सीबीआई कर रही है इसलिए अब उस मांग पर सुनवाई की ज़रूरत नहीं है। इस तरह की घटनाओं के पीछे छुपे कारणों को खत्म करना जरूरी है।

इसके साथ ही याचिकाकर्ता उपाध्याय ने कोर्ट को बताया था कि कुछ राज्यों ने धोखे, लालच या अंधविश्वास फैला कर धर्मांतरण के विरुद्ध कानून बना रखे हैं लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर कोई कानून नहीं है। इस तरह के ढीले रुख से यह समस्या दूर नहीं की जा सकती। धर्म परिवर्तन करवाने के लिए बड़े पैमाने पर विदेशी फंडिंग हो रही है. इन सब पर ध्यान देने की ज़रूरत है। थोड़ी देर तक वकील की बातों को सुनने के बाद जजों ने माना था कि यह एक गंभीर विषय है। इसके बाद कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय को नोटिस जारी कर दिया ।