
नई दिल्ली। चलिए, मान लिया कि बतौर विपक्षी दल आपको केंद्र में बैठे किसी भी सत्तारूढ़ दल के खिलाफ निशाना साधने का पूरा अधिकार है और यह अधिकार आपको भारतीय संविधान भी देता है, लेकिन यहां बड़ा सवाल यह है कि क्या आप इस अधिकार की आड़ लेकर अपने अंदर निहित मानवीय संवेदना को भी स्वाहा कर देंगे? आखिर क्यों…सिर्फ इसलिए कि आपको भारतीय संविधान अभिव्यक्ति की आजादी प्रदान करता है, तो आप प्रधानमंत्री के खिलाफ हो रही आतंकी साजिश को महज एक मामूली घटना करार दे देंगे…? सिर्फ और सिर्फ इसलिए कि भारतीय संविधान आपको अभिव्यक्ति की आजादी प्रदान करता है, तो आप प्रधानमंत्री के खिलाफ हो रही आतंकी साजिश को एक छोटी बात बता कर अपने नैतिक कर्तव्यों से पल्ला झाड़ लेंगे? सिर्फ और सिर्फ इसलिए कि आपको अभिव्यक्ति की आजादी दी गई है, तो आप प्रधानमंत्री सरीखे व्यक्ति के विरुद्ध अशोभनीय टिप्पणी करने पर उतारू हो जाएंगे? लेकिन, इन सभी सवालों के बीच एक सवाल यह भी है कि आखिर कब तक हमारे देश में इसी तरह से राजनेता अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में अपनी विकृत मानसिकता की नुमाइश करते रहेंगे?
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर यह सब भूमिकाएं क्यों बनाई जा रही है, तो आपको बता दें कि राजद के एक ऐसे ही वरिष्ठ नेता ने प्रधानमंत्री के खिलाफ हो रही आतंकी साजिश को एक मामूली सी घटना बताया है। सोचकर ही रूह कांप जाती है कि आखिर राजनीति के नाम पर हम इतने संवेदनहीन कब से हो गए। हम कैसे देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ हो रही आतंकी साजिश को महज एक मालूमी घटना करार दे सकते हैं। सवाल बड़ा है। जिसका जवाब देश राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी से जानन चाहता है। जी हां….क्योंकि… शिवानंद तिवारी ही वे शख्स हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री के खिलाफ हो रही आतंकी साजिश को महज एक मामूली घटना बताया है। ध्यान रहे कि पटना दौरे से पहले प्रधानमंत्री के खिलाफ आतंकी साजिश की गई थी, जिसका भंडाफोड़ उस वक्त हुआ, जब पटना में आतंकी मॉड्यूल का खुलासा हुआ था। बता दें कि इस मॉड्यूल के तहत 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र में तब्दील करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसके लिए मुस्लिम युवाओं को बहला-फुसलाकर उन्हें कट्टरता का पाठ पढ़ाया जा रहा था, लेकिन इससे पहले कि इनके नापाक मुरादे मुकम्मल होते, पुलिस ने इस मॉड्यूल के कर्ताधर्ताओं को धर दबोचा। लेकिन इस बीच पूरे ऑपरेशन को अंजाम देने वाले पटना के एसएसपी ढिल्लो ने बड़ा विचित्र बयान दे दिया। उन्होंन कहा कि जिस तरह से आरएसएस में युवाओं को लाठियां भांजनी सिखाई जाती है, उसी तरह आतंकवादी संगठनों में युवाओं को कट्टरवाद का पाठ पढ़ाया जाता है। उधर, इस बयान को लेकर बीजेपी ढिल्लो पर हमलावर हो चुकी है और सीएम नीतीश कुमार से उनको बर्खास्त करने की मांग कर रही है।
वहीं, राजद ने भी ढिल्लो का समर्थन किया है, जिसमें शिवानंद तिवारी ने कहा कि किसी को तिल का पहाड़ नहीं बनाना चाहिए। भाजपा एसएसपी को हटाने की मांग कर रही है, जो कि गलत है। वह एक सक्षम अधिकारी हैं और रही बात आरएसएस की तो यह संगठन हमेशा ही एक विवादित संगठन रहा है। ध्यान रहे कि इससे पहले राजद के कई नेता ढिल्लो के समर्थन में बयान दे चुके हैं। जिसे लेकर बीजेपी और अन्य दलों के बीच रार देखने को मिल रही है। अब ऐसे में यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।