
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसानों का आंदोलन आज 50वें दिन में प्रवेश कर गया है। कड़ाके की सर्दी में हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं। गौरतलब है कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मसले पर सुनवाई करते हुए कृषि कानूनों को अपने अगले आदेश तक लागू करने पर रोक लगा दी। इसके अलावा कोर्ट ने इस मसले को सुलझाने के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पत्रकार आशुतोष को टिप्पणी करना मंहगा पड़ गया। दरअसल न्यूज एंकर रोहित सरदाना ने आशुतोष के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए उनकी बोलती बंद कर दी।
दरअसल रोहित सरदाना ने आशुतोष के ट्वीट को ऑड डे और ईवन डे के रूप में बताकर ट्रोल किया। बता दें कि आशुतोष अपने ट्वीट में लिखा, किसान आंदोलन: सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को फटकार, कहा- हम निराश हैं। किसान कानून को सरकार सस्पेंड क्यों नहीं करती?। तो दूसरे ट्वीट में उसी सुप्रीम कोर्ट पर आशुतोष यह कहकर टिप्पणी कर रहे, ‘अदालत ने अपना रुतबा गंवा दिया है?’
ऑड डे ईवन डे pic.twitter.com/WJTQiAKSD8
— रोहित सरदाना (@sardanarohit) January 13, 2021
पहले ट्वीट में आशुतोष ने सुप्रीम कोर्ट के शब्दों को सरकार के विरुद्ध बताया और दूसरे ट्वीट में सुप्रीम कोर्ट पर ही रुतबा गंवाने जैसे आक्षेप लगा दिया। वहींं रोहित सरदाना के समर्थन में लोगों ने आशुतोष की जमकर खिचाई कर डाली।
रोहित सरदाना से पूछा गया कि, ‘गोदी मीडिया’ क्या है, उन्होंने दिया ये मजेदार जवाब
पिछले कुछ सालों से पत्रकारिता जगत में ‘फेक न्यूज़’ और ‘गोदी मीडिया’ जैसे शब्दों पर काफी चर्चा और बवाल हो रहा है। बल्कि मीडिया आज दो खेमे में बंट गया है… एक खेमा अपने आप को आदर्शवादी पत्रकार बताता है तो दूसरे को गोदी मीडिया। बल्कि नेताओं से लेकर आम जनता भी गोदी मीडिया का इस्तेमाल कर रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर ये गोदी मीडिया है कौन? देश के प्रतिष्ठित पत्रकार रोहित सरदाना ने आज अपने दर्शकों से बातचीत में इससे अच्छे से परिभाषित किया।
आजतक के न्यूज एंकर रोहित सरदाना ने गोदी मीडिया को अच्छे से परिभाषित किया है। रोहित सरदाना ने कहा कि आप किसी भी कॉलेज या मुहल्ले में पढ़ते होंगे, आस-पास में रहते होंगे। कुछ बदमाश टाइप के लड़के होते होंगे, हर समय चौराहे पर बैठे रहते है और हमेशा ही उनकी नजर वह आस-पास रहने वाली गली मुहल्ले की लड़कियों पर नजर रहती है। उन गुड़ों को जो लड़कियां पंसद आ जाती है वो ये कह देते है कि सबकी भाभियां जिसका सब सम्मान करो, और वो मना कर दें तो कि मुझे तुम्हारी दोस्ती पंसद नहीं है। तो वो उसे अवारा बदचलन घोषित कर देते है। तो वो उसके खिलाफ दीवारों में जगह-जगह लिख देते है। तो इस समय की स्थिति यही है। जिन राजनीतिक पार्टियों को गोद में हम नहीं बैठे है तो वो दीवारों में जा जाकर लिखेंगे गोदी मीडिया। उनका कहना है कि हमारी गोद में बैठ जाओं वरना हम तुम्हें बदनाम कर देंगे कि तुम बदचलन हो। तो basically इनका दर्द यही है जो चौराहे पर बैठे मनचले और अवारा गुड़ों का होता है। ये है गोदी मीडिया की सच्चाई।
गोदी मीडिया को अच्छे से परिभाषित किया है @sardanarohit जी ने ? pic.twitter.com/62DwyGHeXf
— Ravi Ranjan (@RaviRanjanIn) December 8, 2020