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West Bengal: पश्चिम बंगाल की ममता सरकार छिपा रही राजनीतिक हत्या और हिंसा के आंकड़े! आरटीआई एक्टिविस्ट का आरोप

आरटीआई लगाने वाले विश्वनाथ गोस्वामी के मुताबिक जिन जिलों से पुलिस ने उनके आरटीआई पर जवाब नहीं दिया, वहीं कई का दावा है कि उनके अधिकार क्षेत्र में राजनीतिक हत्या या राजनीतिक हिंसा की कोई घटना हुई ही नहीं है। विश्वनाथ गोस्वामी का आरोप है कि पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार तथ्यों को छिपा रही है।

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने सूचना छिपाने का संगीन आरोप लगाया है। आरटीआई के जरिए विश्वनाथ गोस्वामी ने पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा की घटनाओं की जानकारी मांगी थी। हिंदी अखबार दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक विश्वनाथ गोस्वामी को आरटीआई के जरिए पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा की जितनी घटनाओं का आंकड़ा दिया है, वो नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से मेल नहीं खाता। एनसीआरबी में दिए गए आंकड़े, विश्वनाथ गोस्वामी को आरटीआई से मिले आंकड़ों के मुकाबले काफी कम हैं। एनसीआरबी के रिकॉर्ड बताते हैं कि पश्चिम बंगाल में साल 2021 में राजनीतिक हत्या की सिर्फ 7 घटनाएं हुईं। वहीं, विश्वनाथ गोस्वामी को आरटीआई के जवाब में बताया गया है कि संबंधित साल में राजनीतिक हत्या की 49 घटनाएं पश्चिम बंगाल में हुईं।

rti activist bishwanath goswami

एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि इस साल पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा की सिर्फ 34 घटनाएं हुई हैं। वहीं, विश्वनाथ गोस्वामी ने जो आरटीआई दाखिल किया, उसके जवाब में बताया गया है कि पश्चिम बंगाल में इस साल राजनीतिक हिंसा की 839 घटनाएं हो चुकी हैं। विश्वनाथ गोस्वामी ने पश्चिम बंगाल के 30 जिलों की पुलिस से राजनीतिक हिंसा और राजनीतिक हत्या की जानकारी अपने आरटीआई आवेदन में मांगी थी। विश्वनाथ ने दैनिक जागरण को बताया कि 12 से ज्यादा जिलों की पुलिस ने उनकी आरटीआई पर जवाब ही नहीं दिया है।

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विश्वनाथ गोस्वामी के मुताबिक जिन जिलों से पुलिस ने उनके आरटीआई पर जवाब नहीं दिया, वहीं कई का दावा है कि उनके अधिकार क्षेत्र में राजनीतिक हत्या या राजनीतिक हिंसा की कोई घटना हुई ही नहीं है। विश्वनाथ गोस्वामी का आरोप है कि पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार तथ्यों को छिपा रही है। उन्होंने कहा कि पुलिस हिरासत में मौतों के मामलों को भी दबाया जाता है। गोस्वामी ने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और कोर्ट के हस्तक्षेप की जरूरत बताई। उन्होंने ये आरोप भी लगाया कि राज्य सूचना आयोग को स्थानीय पुलिस चला रही है और इसे अपने कब्जे में कर रखा है। पश्चिम बंगाल में साल 2021 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक हिंसा और हत्या की तमाम घटनाएं सामने आई थीं। अब पंचायत चुनाव से पहले भी पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा और हत्या की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इन पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता सरकार पर तीखे सवाल भी उठाए हैं।