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पहली बार सामना में किसी और पार्टी के नेता को दी गई जगह, पढ़िए शरद पवार ने क्या कहा

शरद पवार से पूछा गया कि महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार के आप हेडमास्टर हैं या रिमोट कंट्रोल तो उन्होंने जवाब में कहा कि, “दोनों में से कोई नहीं। हेडमास्टर तो स्कूल में होना चाहिए। लोकतंत्र में सरकार या प्रशासन कभी रिमोट से नहीं चलता। रिमोट कहां चलता है? जहां लोकतंत्र नहीं है वहां।

नई दिल्ली। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ को दिए इंटरव्यू में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने महाराष्ट्र की सरकार को लेकर कहा कि, महाराष्ट्र में लोकतंत्र की सरकार है, जो किसी भी रिमोट कंट्रोल से नहीं चल रही है। उन्होंने कहा कि, सरकार को सीएम उद्धव ठाकरे और उनके मंत्री चला रहे हैं। अपने साक्षात्कार में शरद पवार ने बाल ठाकरे और भाजपा की तुलना पर कहा कि, दोनों की सोच और शैली में बहुत अंतर था।

sharad pawar

शरद पवार ने कहा कि, “मेरा स्पष्ट मत है कि विधानसभा में उनके बीजेपी के विधायकों का जो 105 फिगर हुआ, उसमें शिवसेना का योगदान बहुत बड़ा था। अगर उसमें शिवसेना शामिल नहीं होती तो इस बार 105 नहीं बल्कि 40-50 के करीब सीटें मिली होती। बीजेपी के लोग कहते हैं कि 105 विधायक होने के बावजूद सहयोगी यानी शिवसेना ने नजरअंदाज किया अथवा सत्ता से दूर रखा। उन्हें 105 तक पहुंचाने का काम जिन्होंने किया, यदि उन्हीं के प्रति गलतफहमी भरी भूमिका अपनाई तो मुझे नहीं लगता कि औरों को कुछ अलग करने की आवश्यकता है।जिन बालासाहेब ठाकरे को जानता हूं। मेरी तुलना में आप लोगों को शायद अधिक जानकारी होगी। परंतु बालासाहेब की पूरी विचारधारा, काम करने की शैली भारतीय जनता पार्टी के अनुरूप थी, ऐसा मुझे कभी महसूस ही नहीं हुआ।”

saamana

जब शरद पवार से पूछा गया कि आपको ऐसा क्यों लगा तो उन्होंने कहा कि, “बताता हूं ना। सबकी वजह यह है कि बालासाहेब की भूमिका और बीजेपी की विचारधारा में अंतर था। खासकर काम की शैली में जमीन आसमान का अंतर है। बालासाहेब ने कुछ व्यक्तियों का आदर किया। उन्होंने अटलबिहारी बाजपेयी का? आदर किया। उन्होंने आडवाणी का किया। उन्होंने प्रमोद महाजन का आदर किया। उन सभी को सम्मान देकर उन्होंने एक साथ आने का विचार किया और आगे सत्ता आने में सहयोग दिया। दूसरी बात ऐसी थी कि कांग्रेस से उनका संघर्ष था, ऐसा मुझे नहीं लगता। शिवसेना हमेशा कांग्रेस के विरोध में ही थी, ऐसा नहीं है।”

बाल ठाकरे को लेकर शरद पवार ने कहा कि, “वो जितने बिंदास उतने ही दिलदार। राजनीति में वैसी दिलदारी मुश्किल है। शायद बालासाहेब ठाकरे और शिवसेना देश का पहला ऐसा दल है कि किसी राष्ट्रीय मुद्दे पर सत्ताधारी दल के प्रमुख लोगों का खुद के दल के भविष्य की चिंता न करते हुए समर्थन करते थे। आपातकाल में भी पूरा देश इंदिरा गांधी के विरोध में था। उस समय अनुशासित नेतृत्व के लिए बालासाहेब इंदिरा गांधी के साथ खड़े थे। सिर्फ खड़े ही नहीं हुए बल्कि हम लोगों के लिए चौंकानेवाली बात तो यह भी थी कि उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के चुनाव में अपने उम्मीदवार नहीं उतारने का ऐलान कर दिया।”

NCP Chief Sharad Pawar

शरद पवार से पूछा गया कि महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार के आप हेडमास्टर हैं या रिमोट कंट्रोल तो उन्होंने जवाब में कहा कि, “दोनों में से कोई नहीं। हेडमास्टर तो स्कूल में होना चाहिए। लोकतंत्र में सरकार या प्रशासन कभी रिमोट से नहीं चलता। रिमोट कहां चलता है? जहां लोकतंत्र नहीं है वहां। हमने रूस का उदाहरण देखा है। पुतिन वहां 2036 तक अध्यक्ष रहेंगे। वो एकतरफा सत्ता है, लोकतंत्र आदि एक तरफ रख दिया है। इसलिए यह कहना कि हम जैसे कहेंगे वैसे सरकार चलेगी, यह एक प्रकार की जिद है। यहां लोकतंत्र की सरकार है और लोकतंत्र की सरकार रिमोट कंट्रोल से कभी नहीं चल सकती। मुझे यह स्वीकार नहीं। सरकार मुख्यमंत्री और उनके मंत्री चला रहे हैं।”