अजमेर। राजस्थान कांग्रेस में सचिन पायलट बनाम अशोक गहलोत की रार लगातार तेज होती जा रही है। राजस्थान में ये रार इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए मुश्किल का सबब बन सकती है। सचिन पायलट अब कल यानी 11 मई से अपनी पार्टी कांग्रेस की सरकार के दौर में राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन (आरपीएससी) के पेपर लीक मामलों को मुद्दा बनाकर अजमेर से जयपुर तक की पदयात्रा शुरू करने जा रहे हैं। अजमेर से जयपुर की दूरी करीब 125 किलोमीटर है और सचिन पायलट को पैदल चलकर ये दूरी नापने में 5 दिन का वक्त लगेगा। अब सबकी नजर इस पर है कि सचिन पायलट की पदयात्रा में कांग्रेस से कौन-कौन साथ देता है।
सचिन पायलट ने मंगलवार को सीएम अशोक गहलोत पर संगीन आरोप लगाया था। सचिन ने कहा था कि गहलोत के बयान सुनकर लगता है कि वो सोनिया गांधी की जग की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को अपना नेता मानते हैं। दरअसल, अशोक गहलोत ने बीते दिनों वसुंधरा राजे की खूब तारीफ की थी। सरकारी कार्यक्रम में गहलोत ने कहा था कि बीजेपी नेतृत्व ने उनकी सरकार गिराने के लिए बागी विधायकों को 10-20 करोड़ दे दिए थे, लेकिन वसुंधरा राजे की मदद से सरकार बच गई। इसी बयान को आधार बनाकर सचिन पायलट ने गहलोत पर तगड़ा निशाना साधा था और संकेतों में उनको कांग्रेस विरोधी बताने की कोशिश की थी।
सचिन पायलट इससे पहले वसुंधरा राजे की सत्ता के दौरान हुए कथित भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई न करने को मुद्दा बनाकर जयपुर में अपनी ही सरकार के खिलाफ एक दिन के अनशन पर भी बैठे थे। तब राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने इसे पार्टी विरोधी गतिविधि तक कह दिया था, लेकिन चुनावी साल होने के कारण सचिन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सचिन को इससे पहले गहलोत ने नाकारा, बड़ा वाला कोरोना और गद्दार तक कहा था। बता दें कि 2020 में सचिन पायलट के नेतृत्व में 19 विधायकों ने बागी तेवर दिखाए थे। तब कांग्रेस आलाकमान को इन्हें मनाने में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।