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Ayodhya Ram Temple Consecration: भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही पूरा होगा झारखंड की सरस्वती देवी का ये कठिन प्रण, 32 साल से ले रखा है मौन व्रत

Ayodhya Ram Temple Consecration: सरस्वती देवी ने 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित बाबरी ढांचा गिरने के बाद मंदिर आंदोलन के बड़े चेहरों में शामिल महंत नृत्य गोपाल दास से मुलाकात की थी। महंत से मुलाकात के बाद ही सरस्वती देवी ने तय किया कि वो रामकाज में मौन व्रत के जरिए अपना योगदान देंगी।

अयोध्या। रामनगरी में भव्य राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में अब सिर्फ 12 दिन बचे हैं। 22 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी के हाथ भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इस अवसर पर तमाम गणमान्य लोग, साधु-संत तो राम मंदिर में मौजूद रहेंगे ही, साथ ही राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे लोगों को भी प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर निमंत्रण दिया गया है। इन्हीं में शामिल हैं झारखंड के धनबाद की सरस्वती देवी। 80 साल की सरस्वती देवी ने रामकाज के लिए बड़ा त्याग किया है। उन्होंने प्रण किया था कि राम मंदिर का सपना साकार होने पर ही वो अपना मौन व्रत तोड़ेंगी। अब भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर सरस्वती देवी की जिव्हा से फिर बोल फूटेंगे।

32 साल से एक भी शब्द का उच्चारण न करने का सरस्वती देवी का प्रण अब पूरा होने जा रहा है। वो धनबाद से अयोध्या पहुंच गई हैं। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होते ही सरस्वती देवी मौन व्रत तोड़ेंगी और सीताराम कहेंगी। सरस्वती देवी ने 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित बाबरी ढांचा गिरने के बाद मंदिर आंदोलन के बड़े चेहरों में शामिल महंत नृत्य गोपाल दास से मुलाकात की थी। महंत नृत्य गोपाल दास से मुलाकात के बाद ही सरस्वती देवी ने तय किया कि वो रामकाज में मौन व्रत के जरिए अपना योगदान देंगी। इसी के साथ उन्होंने प्रण किया कि राम मंदिर में जब भगवान रामलला फिर से स्थापित हो जाएंगे, तभी वो अपना मौन व्रत तोड़ेंगी। अब वो दिन करीब है, जब सरस्वती देवी के इस कठिन प्रण को भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही पूरा करने का मौका मिलेगा।

राम मंदिर आंदोलन में गोलीबारी के दौरान जान गंवाने वाले कोठारी बंधुओं की बहन को भी प्राण प्रतिष्ठा के लिए निमंत्रण मिला है।

सरस्वती देवी को प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर अयोध्या निमंत्रित करने का काम महंत नृत्य गोपाल दास के यहां से हुआ है। निमंत्रण मिलने के बाद सरस्वती देवी धनबाद से अयोध्या चली गईं। वो धैया इलाके की निवासी हैं। सरस्वती देवी के अलावा राम मंदिर आंदोलन में हिस्सा लेने वाले और लोगों व उनके परिवार को इस कार्यक्रम में शामिल होने का मौका मिलेगा। इनमें कारसेवकों पर गोलीबारी में जान गंवाने वाले कोठारी बंधुओं का परिवार भी शामिल है। कोठारी बंधुओं की बहन अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर अयोध्या में मौजूद रहेंगी। कोठारी बंधुओं की बहन ने क्या कहा सुनिए।