
नई दिल्ली। भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस को अपना नया अध्यक्ष मिल गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) अब पार्टी की कमान संभालते हुए नजर आएंगे। 80 साल की उम्र में उन्हें पार्टी में जान फूंकने की जिम्मेदारी दी गई है। कांग्रेस के अध्यक्ष पद (Congress President) के लिए हुए चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे का मुकाबला शशि थरूर के साथ था। इस मुकाबले में 7 हजार से ज्यादा वोट हासिल कर खड़गे ने जीत हासिल की है। वहीं, शशि थरूर को महज 1060 ही वोट मिल पाए। कांग्रेस अध्यक्ष बने मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक से आते हैं। इनका जीवन बचपन से ही मुश्किलों भरा रहा है। राज्य सरकार में विधायक और मंत्री के बाद केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके खड़गे की जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी आया था जब उन्होंने 5 साल की उम्र में अपनी मां को जिंदा जलते हुए देखा। इतना ही नहीं खड़गे ने अपनी जिंगदी का कुछ वक्त जंगलों में भी रहकर गुजारा है। अब जब मल्लिकार्जुन खड़गे के हाथ में पार्टी की कमान है तो उम्मीद जताई जा रही है कि ये दिग्गज नेता पार्टी की खंड़हर हो चुकी इमारत में फिर से जान भरेगा।
आजादी के वक्त सिर्फ़ 5 साल के थे खड़गे
जब देश आजाद हुआ था तो मल्लिकार्जुन खड़गे सिर्फ़ 5 साल के थे। विभाजन के वक्त मैसूर जो कि आज कर्नाटक के नाम से विख्यात है वो हिंदू और मुस्लिम दंगों की आग में दहक रहा था। इन दंगों की आग खड़गे के वरवट्टी गांव तक भी पहुंच गई। इन दंगों के दौरान लुटारी भी काफी सक्रिय हो गए थे। लुटारी वो थे जो कि अमीरों को लूटने का काम करते थे। इन लुटारियों ने वरवट्टी गांव को भी आग के हवाले कर दिया और इसी आग में मल्लिकार्जुन खड़गे की मां भी जल गई। खड़गे ने 5 साल की छोटी सी उम्र में अपनी मां को आंखों के सामने जलते देखा। अपने गांव को जलता देख खड़गे के पति उन्हें बचाते हुए जंगलों की तरफ भाग निकलते हैं। जहां 3 महीने तक उन्होंने समय बिताया। इन्हीं जंगलों में रहते हुए पिता ने मजदूरी कर खड़गे को पाला। हालांकि इस दौरान खड़गे को उनके पिता ने कभी मजदूरी के लिए मजबूर नहीं किया बल्कि उनका सारा ध्यान पढ़ाई में लगवाया।
पढ़ लिख कर बने वकील फिर राजनीति में रखा कदम
साल 1942 में जन्मे मल्लिकार्जुन खड़गे ने मां को खोने और पिता की इस हालत को देखते हुए अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान लगाया। पढ़ लिखकर वो वकील बने और इसके बाद राजनीति में भी अपने लिए बड़ा मुकाम हासिल किया। अपनी पढ़ाई-लिखाई के दौरान ही खड़गे का राजनीति के प्रति झुकाव पैदा हुआ। स्कूल में हेड बॉय और कॉलेज में स्टूडेंट लीडर बने खड़गे ने जब पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा तो उन्हें जीत भी हासिल हुई। खड़गे कुल 9 बार विधायक रहे और दो बार सांसदी जीते।
मजदूरों के बीच अपनी इस अदा से थे लोकप्रिय
इंदिरा गांधी के समय से ही गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे आज वर्तमान में भी सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी के बेहद करीबी माने जाते हैं लेकिन मजदूरों और दलितों के बीच भी वो काफी लोकप्रिय थे। मजदूरों और दलितों के बीच अपनी जिस अदा से वो लोकप्रिय थे वो थी उनकी नरमदीली। कबड्डी के अच्छे खिलाड़ी रहे और स्कूल में कई बार इनाम जीतने वाले खड़गे वकालत के दिनों में गरीबों के मसीहा कहलाते थे। खड़गे जब कभी भी किसी गरीब का केस लड़ते थे तो पैसे नहीं लेते थे। उनकी इसी अदा ने उन्हें कर्नाटक के मजदूरों और दलितों में मशहूर के बीच लोकप्रिय बना दिया था।
ऐसा है मल्लिकार्जुन खड़गे का परिवार
मल्लिकार्जुन खड़गे के परिवार की बात करें तो उनके परिवार में उनकी पत्नी, तीन बेटे और दो बेटियां हैं। बड़े बेटे राहुल हैं जो कि पिता खड़गे के परिवारिक बिजनेस को संभालने का काम करते हैं। दूसरे नंबर के बेटे मिलिंद खड़गे डॉक्टर हैं और तीसरे नंबर पर आने वाले सबसे छोटे बेटे प्रियांक खड़गे गुलबर्गा के चित्तपुर से कांग्रेस पार्टी के विधायक हैं। खड़गे के छोटे बेटे प्रियांक साल 2016 में सिद्धारमैया सरकार के साथ ही एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में भी मंत्री पद पर रह चुके हैं।