नई दिल्ली। अदानी-हिंडनबर्ग मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने मामले में पादर्शियता का अभाव बताया। कहा कि मामले में छुपी विसंगतियों को सतह पर लाने के लिए कमेटी गठित की जाएगी, जिसमें किन लोगों को शामिल करना है, इसका फैसला भी कोर्ट ही करेगी। उधर, सेबी की ओर से कमेटी में शामिल होने वाले लोगों के नाम भी सीजेआई को सौंपे हैं। सेबी ने कहा कि हम चाहते हैं कि मामले में मौजूद विसंगतियां सतह पर आएं, लेकिन इसके साथ ही इस बात का ध्यान रहे कि बाजार पर इस प्रकरण का किसी भी प्रकार से नकारात्मक असर ना पड़े। अगर ऐसा हुआ, तो निवेशकों को आर्थिक मोर्चे पर नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। सेबी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हम चाहते हैं कि कमेटी में किसी न्यायाधीश को भी शामिल किया जाए, ताकि मामले में निष्पक्षता और पारदर्शिता का भाव पैदा हो।
सुनवाई के दौरान क्या हुआ ?
बता दें कि सुनवाई के दौरान वकील एमएल शर्मा ने कहा कि इनका काम डिलीवरी शेयर भेजना और मीडिया के जरिए भ्रम फैलाना है। इस पर जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि शॉर्ट स्लेयर तो मीडिया के जरिए ही होता है। आमतौर पर यह उन लोगों के लिए किया जाता है, जो बाजार का इस्तेमाल लाभ अर्जित करने के लिए करते हैं। वहीं, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने इस पूरे प्रकरण पर कहा कि यह मार्केट प्रभावित करके लाभ कमाने वाले लोग हैं। भूषण ने कहा कि हम मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। भूषण ने कहा कि अडानी कंपनियों के 75% से ज़्यादा शेयर खुद प्रमोटर या उनसे जुड़े लोगों के पास हैं। सीजेआई ने कहा कि आप अपने सुझाव दीजिए।
प्रशांत भूषण ने क्या कहा?
प्रशांत भूषण ने आगे कहा कि अडानी उपक्रम पर लगे आरोपों की जांच हों। आखिर क्यों 75 फीसद से ज्यादा शेयर उनके ही पास हैं। इसकी जांच अनिवार्य है। साथ ही जिस तरह से आय के स्रोतों के संदर्भ में विभिन्न प्रकार के आरोप लगाए गए हैं, उसकी भी जांच की जानी चाहिए, ताकि मामले की सच्चाई सामने आ सकें। इसके अलावा शेल कंपनियों के जरिए मिले पैसों की भी जांच होनी चाहिए। बहरहाल, अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले की जांच के लिए समिति गठित करने के आदेश के बाद क्या कुछ फैसला लिया जाता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। तब तक के लिए आप देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम