नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें तीन सदस्यीय न्यायाधीश के पैनल से पूर्व न्यायाधीश रंजन गोगोई (Former CJI Ranjan Gogoi) के जज के रूप में आचरण की जांच करने की मांग की गई थी। गोगोई अब राज्यसभा के सांसद हैं। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और कृष्ण मुरारी की पीठ ने पाया कि याचिका लाए जाने के एक साल बीत जाने के बाद भी सुनवाई के लिए दबाव नहीं डाला गया, इसलिए याचिका निस्तारण योग्य नहीं है क्योंकि जस्टिस गोगोई सेवानिवृत हो चुके हैं।
याचिका दो वर्ष पर पहले पूर्व मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहते उनके आचरण की जांच के लिए दाखिल की गई थी, जिसमें कथित रूप से जज रहते हुए उन्होंने क्या किया और क्या नहीं किया इसकी जांच की जानी थी। पीठ ने पाया कि गोगाई ने कार्यालय छोड़ दिया है और यह याचिका अब निष्फल हो चुकी है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने पाया कि व्यक्ति सेवानिवृत्त हो चुके हैं और इस रिट याचिका में अब कुछ नहीं बचा है।
Supreme Court dismisses as infructuous, a PIL seeking in-house probe against former CJI Ranjan Gogoi into alleged “commission and omission” by him during his tenure as Supreme Court judge. Court says that he has demitted the office now and nothing remains in this petition. pic.twitter.com/zuzcsmBZAA
— ANI (@ANI) August 21, 2020
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता अरुण रामचंद्र हुबलीकर को कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और साथ ही पूछा कि आप इस याचिका को पहले क्यों नहीं लेकर आए। याचिकाकर्ता ने पीठ के समक्ष दलील दी कि वह याचिका को सूचीबद्ध करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के महासचिव से मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन याचिका को सूचीबद्ध नहीं किया गया।
नवंबर में, न्यायमूर्ति गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने अयोध्या में राम मंदिर मामले में फैसला सुनाया था। वह 17 नवंबर 2019 को भारत के प्रधान न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे।