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SC का फैसला, केरल स्थित श्री पद्मनाभस्‍वामी मंदिर पर त्रावणकोर शाही परिवार का अधिकार रहेगा बरकरार

इस मामले से जुड़े एक वकील के अनुसार, शासक की मृत्यु पर रिवाज के अनुसार प्रबंधन किया जाता है और जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति, जो शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त कार्यकारी अधिकारी है, का गठन किया गया है।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तिरुवनंतपुरम के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर मामले में त्रावणकोर राजघराने के अधिकारों को बरकरार रखा। यू.यू ललित की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि प्रशासनिक समिति मंदिर मामलों का प्रबंधन करेगी, जबकि तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश समिति के अध्यक्ष होंगे। इस मामले से जुड़े एक वकील के अनुसार, शासक की मृत्यु पर रिवाज के अनुसार प्रबंधन किया जाता है और जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति, जो शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त कार्यकारी अधिकारी है, का गठन किया गया है।

supreme court

श्रद्धालुओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने कहा, “26वें संविधान संशोधन के बावजूद, शासक की मृत्यु से संपत्ति सरकार के पक्ष में नहीं चली जाती।” शीर्ष अदालत का फैसला देश के सबसे धनी मंदिरों में से एक, श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन के विवाद पर आया है। ऐतिहासिक मंदिर के प्रशासन और प्रबंधन के संबंध में मामले शीर्ष अदालत में करीब नौ वर्षों से लंबित हैं।

Padmanabhaswamy Temple

अबतक नहीं खुला है मंदिर का सातवां दरवाजा

ऐसा माना जाता है कि मंदिर के गुप्त तहखानों में इतना खजाना छिपा हुआ है, जिसका कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता। ऐसे ही छह तहखानों के छह दरवाजे खोले जा चुके हैं लेकिन सातवां दरवाजा अब भी बंद है। इतिहासकार डा. एल.ए. रवि वर्मा के मुताबिक मंदिर लगभग 5000 साल पुराना है। साल 1750 में महाराज मार्तंड वर्मा ने खुद को पद्मनाभ दास घोषित कर दिया। इसके बाद पूरा का पूरा राजघराना मंदिर की सेवा में जुट गया। शाही घराने के अधीन एक प्राइवेट ट्रस्ट मंदिर की देखरेख करता आया है।