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Harsh Mander: सोनिया के करीबी पूर्व IAS अधिकारी हर्ष मंदर के खिलाफ कसा शिकंजा, MHA ने दिया CBI जांच का आदेश, जानें पूरा माजरा

Harsh Mander: दरअसल, हर्ष मंदर दो एनजीओ चलाते हैं। उम्मीद अमन घर और खुशी रेनबो होम है। अब हर्ष मंदर पर आरोप है कि इन्होंने इन दोनों के लिए विदेश से चंदा प्राप्त करने के लिए एफसीआरए कानून का उल्लंघन किया था। यही नहीं, हर्ष मंदर पर आरोप है कि इन्होंने बच्चों के नाम पर विदेश से चंदा प्राप्त कर उसका इस्तेमाल सीएए विरोध प्रदर्शन में किया था।

नई दिल्ली।  केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पूर्व आईएएस अधिकारी व सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। दरअसल, उन पर विदेश से चंदा प्राप्त करने के दौरान एफसीआरए (FCRA) कानून का उल्लंघन करने का आरोप है। इससे पूर्व वे धन शोधन मामले में भी ईडी की जांच की रडार पर आ चुके हैं। वह यूपीए शासनकाल के दौरान भारत सरकार की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं। उन्हें सोनिया गांधी का करीबी भी बताया जाता है। यही नहीं, साल 2021 में उनके खिलाफ ईडी ने कड़ी कार्रवाई करते हुए उनके आवास पर छापा भी मारा था। आइए , आगे आपको पूरा माजरा विस्तार से बताते हैं।

दरअसल, हर्ष मंदर दो एनजीओ चलाते हैं। जिनका नाम उम्मीद अमन घर और खुशी रेनबो होम है। अब हर्ष मंदर पर आरोप है कि इन्होंने इन दोनों के लिए विदेश से चंदा प्राप्त करने के लिए एफसीआरए कानून का उल्लंघन किया था। यही नहीं, हर्ष मंदर पर आरोप है कि इन्होंने बच्चों के नाम पर विदेश से चंदा प्राप्त कर उसका इस्तेमाल सीएए विरोध प्रदर्शन में किया था और यह आरोप किसी और ने नहीं, बल्कि नेशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ने अपनी तफ्तीश मुकम्मल करने के बाद लगाया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसके बाद ईडी ने भी धन शोधन मामले के तहत उनके खिलाफ केस दर्ज किया था। साल 2021 में इस मामले को लेकर ईडी ने उनके यहां छापा मारा था। यही नहीं, उनके आय के स्रोतों को लेकर भी कई बार विवाद सतह पर आ चुके हैं।

यही नहीं, हर्ष मंदर पर सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देने का भी आरोप लगा है। उन पर कोर्ट की अवमानना का भी आरोप लगा है। दरअसल, उन पर आरोप है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की, जिस पर दिल्ली पुलिस के डीसीपी ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर जांच की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने यह मांग खारिज कर दी थी और यह स्पष्ट कर दिया था कि अब इस मामले में जांच का कोई मतलब नहीं बनता है।