प्रयागराज। तमाम लोग पहली पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी कर लेते हैं। हिंदू विवाह अधिनियम में पहली पत्नी के जीवित रहते या तलाक न होने की स्थिति में दूसरी शादी करना कानूनन जुर्म है। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहली पत्नी के रहते फिर शादी करने पर दूसरी पत्नी को एक अधिकार न मिलने का फैसला सुनाया है। जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल ने फैसले में कहा कि किसी हिंदू की दूसरी पत्नी अपने पति पर क्रूरता की धारा 498ए के तहत मुकदमा नहीं करा सकती। कोर्ट ने कहा कि पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी शून्य मानी जाती है। ऐसे में वैध पत्नी ही क्रूरता का केस अपने पति पर करा सकती है।
जस्टिस देशवाल ने यूपी के सोनभद्र जिले के रॉबर्ट्सगंज में रहने वाले अखिलेश केसरी और कुछ की तरफ से दाखिल याचिका को आंशिक तौर पर मंजूर करते हुए ये अहम फैसला सुनाया है। जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल ने अपने फैसले में ये भी कहा कि ऐसे हिंदू व्यक्ति की दूसरी पत्नी दहेज निरोधक कानून की धारा ¾ के तहत दहेज मांगने पर पति के खिलाफ मुकदमा जरूर दर्ज करा सकती है। कोर्ट ने कहा कि शादी के लिए संपर्क में आने के बाद अगर दहेज मांगा जाता है, तो ये अपराध है। कोर्ट ने महिला के खिलाफ पति और रिश्तेदारों की अर्जी मंजूर करते हुए उनके खिलाफ 498ए का केस रद्द कर दिया। हालांकि, दहेज मांगने समेत कुछ धाराओं में आरोपियों पर मुकदमा चलेगा।
कोर्ट ने एक अहम बात ये भी कही कि बगैर शादी के भी दहेज मांगने के आरोप में संबंधित पर केस चलाया जा सकता है। इस मामले में पुलिस ने आरोपी पर चार्जशीट दाखिल की और मजिस्ट्रेट ने उस पर संज्ञान लिया और समन भेजा। पति और रिश्तेदारों ने हाईकोर्ट में अर्जी दी कि महिला दूसरी पत्नी है और इस कारण वैध नहीं है। पहली पत्नी जिंदा है और दूसरी से 6 साल पहले हुई थी। दूसरी पत्नी से भी बच्चे हैं।