नई दिल्ली। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के राजनीतिक करियर में शुरू हुआ ढलान का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पहले उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी। इसके बाद हिंदुत्व की विचारधारा से हाथ धोना पड़ा। इसके बाद हिंदूवादी विचारधाराओं के वोटरों का विश्वास खो दिया। वहीं, अब उन्होंने अपनी पार्टी और उसका चुनाव चिन्ह गंवा दिया है। बता दें कि बीते शुक्रवार को चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को असली शिवसेना करार दिया और तीर कमान का असल हकदार भी शिंदे को बताया। चुनाव आयोग ने इस संदर्भ में 72 पेज का फैसला लिखित में जारी किया था। इससे पहले चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को पार्टी के तौर पर तलवार और ढाल चिन्ह दिया था। आयोग ने शिंदे गुट को ही असली शिवसेना करार दिया था। उस वक्त शिंदे गुट की पार्टी का नाम बालासाहेबंची शिवसेना (बालासाहेब की शिवसेना) बताया था। इसके अलावा उद्धव ठाकरे के गुट को महज शिवसेना का नाम ही दिया था। उद्धव गुट के चिन्ह के रूप में मसाल दिया था। इस बीच जनवरी के मध्य में इस संदर्भ में सुनवाई थी। जिस पर अब चुनाव आयोग ने फैसला सुनाया है। बता दें कि आयोग ने इस संदर्भ में बाकायदा 78 पेज का लिखित में फैसला भी जारी किया है।
उधर, चुनाव आयोग के फैसले के बाद शिंदे गुट में खुशी का माहौल है। सीएम शिंदे ने आयोग के फैसले को लोकतंत्र की जीत बताया है, तो वहीं सीएम उद्धव ने इसे लोकतंत्र की हत्या और तानाशाही का पर्याय बताया है। सीएम उद्धव ने मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में कहा था कि इससे साफ जाहिर होता है कि देश में तानाशाहा है। अब प्रधानमंत्री को लेकर इसका ऐलान कर देना चाहिए। इसके अलावा शिवसेना नेता संजय राउत ने भी चुनाव आयोग के फैसले पर ट्वीट कर कहा कि,’इसकी स्क्रिप्ट पहले से ही तैयार थी। देश तानाशाही की ओर बढ़ रहा है। जबकि कहा गया था कि नतीजा हमारे पक्ष में होगा, लेकिन अब एक चमत्कार हो गया है। लड़ते रहो। संजय राउत ने कहा कि ऊपर से नीचे तक करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाया है। हमें फिक्र करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जनता हमारे साथ है, लेकिन हम जनता के दरबार में नया चिह्न लेकर जाएंगे और फिर से शिवसेना खड़ी करके दिखाएंगे, ये लोकतंत्र की हत्या है’।
उधर, आपको बता दें चुनाव आयोग से झटका लगने के बाद शनिवार को उद्धव ने अपने समर्थकों की बैठक बुलाई थी। जिसमें उन्होंने अपने समर्थकों के बीच आगे की रणनीति साझा की है। इस बीच उद्धव और शिंदे गुट आमने सामने आ गए। दोनों ने एक-दूसरे को अपने प्रतिरोध की नुमाइश के लिए नारेबाजी की। इस बीच हालात हाथापाई तक आ गई। इसके बाद पूरे मामले की सूचना पुलिस को दी गई। जिसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया। बहरहाल, अब स्थिति नियंत्रित बनी हुई है। लेकिन, अब आगामी दिनों में अपने हाथ से जा चुकी शिवसेना को जिंदा करने के लिए सीएम शिंदे क्या कुछ कदम उठाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। तब तक के लिए आप देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम