Patra Chawl Scam: नई मुश्किल में घोटाले के आरोपी शिवसेना सांसद संजय राउत, हिरासत में रहते लेख छापने में फंसे

संजय राउत के लिए मुश्किल इस वजह से खड़ी हुई है कि वो ईडी की हिरासत में हैं और इसी दौरान लेख छप गया। जबकि, बिना अदालत की मंजूरी के कोई भी हिरासत शुदा शख्स किसी अखबार या पत्रिका में लेख नहीं छपवा सकता। ईडी अब इसकी भी जांच में जुट गई है।

Avatar Written by: August 8, 2022 9:29 am
sanjay raut 1

मुंबई। पात्रा चॉल घोटाले में घिरे शिवसेना सांसद संजय राउत एक और मुश्किल में फंसते दिख रहे हैं। इस बार मामला अखबार में लेख छपने का है। ये लेख शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में छपा है। संजय राउत के लिए मुश्किल इस वजह से खड़ी हुई है कि वो ईडी की हिरासत में हैं और इसी दौरान उनके नाम से एक लेख छप गया। जबकि, बिना अदालत की मंजूरी के कोई भी हिरासत शुदा शख्स किसी अखबार या पत्रिका में लेख नहीं छपवा सकता। ईडी अब इसकी भी जांच में जुट गई है। वो संजय राउत से इस मामले में भी पूछताछ करेगी। अगर ये साबित हो गया कि संजय राउत ने नियमों का उल्लंघन किया, तो इस मामले में भी सजा होने की पूरी गुंजाइश है। बता दें कि संजय राउत सामना अखबार के कार्यकारी संपादक हैं।

sanjay raut in saamna

सामना में संजय राउत का लेख 7 अगस्त को छपा। उससे पहले ही चॉल घोटाले में ईडी उनको गिरफ्तार कर चुकी थी। इस लेख को राउत के साप्ताहिक कॉलम ‘रोखठोक’ के तहत प्रकाशित किया गया। खास बात ये है कि लेख में उन्होंने गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी के गुजराती और मुंबईकरों के बारे में दिए गए बयान और बाद में उनकी माफी के बारे में लिखा है। ईडी के सूत्रों के मुताबिक इससे साबित होता है कि राउत ने पहले नहीं, बल्कि जांच एजेंसी की हिरासत के दौरान लेख लिखा है। अब पूछताछ होगी कि किस तरह राउत ने ये लेख लिखा और फिर उसे अवैध तरीके से सामना के दफ्तर तक भेजा?

sanjay raut in ed custody

राउत के लेख में कोश्यारी के बयान की आलोचना है। अगर कोई महाराष्ट्र के स्वाभिमान से खिलवाड़ करता है, तो मराठी भड़क उठते हैं। इस लेख में ईडी पर भी निशाना साधा गया है। लिखा गया है कि चीनी कारखानों, कपड़ा मिलों और मराठी लोगों की ओर से संचालित अन्य उद्योगों को ईडी की ओर से बंद कर दिया गया है। मराठी उद्यमियों के खिलाफ मामलों का जाल बिछाया गया है। गवर्नर को इस बारे में बात करनी चाहिए। वहीं, शिवसेना के कुछ नेताओं का कहना है कि राउत ने ये लेख नहीं लिखा होगा। शायद सामना के किसी कर्मचारी ने लेख लिखकर उनका नाम देते हुए प्रकाशित किया होगा।