नई दिल्ली। दिल्ली शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार आप नेता संजय सिंह की जमानत याचिका राउज एवेन्यू कोर्ट ने खारिज कर दी है। ध्यान दें, सिंह नई शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। बीते दिनों उन्होंने जमानत के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, लेकिन आज सुनवाई के दौरान उनकी याचिका खारिज कर दी गई। बता दें कि बीते गुरुवार को उनकी न्यायिक हिरासत 10 जनवरी तक के लिए बढ़ा दी गई थी।
Delhi Excise policy PMLA case: Rouse Avenue court dismissed the bail application of AAP MP Sanjay Singh in the money laundering case.
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— ANI (@ANI) December 22, 2023
बता दें कि बीते चार अक्टूबर को कई घंटों की छापेमारी के बाद संजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया था, जिसके बाद से वो अब तक सलाखों के पीछे हैं। उन्हें किसी भी प्रकार की राहत नहीं मिल पा रही है। ध्यान दें, नई शराब नीति मामले में अब तक आम आदमी पार्टी के तीन बड़े नेता सलाखों के पीछे हैं। बीजेपी का दावा है कि अब अगला नंबर सीएम केजरीवाल का है। वहीं, अब ईडी की ओर से उन्हें दो दफा समन भी जारी किया जा चुका है, लेकिन दोनों ही बार वो पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए। इसके विपरीत उनकी पार्टी ने ईडी के समन को बीजेपी की साजिश बताया है।
उधर, बीजेपी का दावा है कि आप के नेता अपने गुनाहों से छुपाने की कोशिश कर रहे हैं। गौरतलब है कि बीते दिनों आतिशी ने प्रेस कांफ्रेंस कर रहा था कि बीजेपी आम आदमी पार्टी के राजनीतिक विस्तार से डरी हुई है, जिसे ध्यान में रखते हुए हमारे नेताओं को परेशान करने की कोशिश की जा रही है, ताकि हम जनता के हित में काम ना कर सकें, लेकिन हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि कोई कुछ भी कर लें, लेकिन जनता के हित में हमारी कोशिश अनवरत जारी रहेगी।
क्या है दिल्ली शराब घोटाला ? जानिए यहां…
…तो तारीख थी 17 नवंबर और साल था 2021…जब दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने पुरानी शराब नीति को हटाकर नई शराब नीति लागू की थी। नई शराब नीति के तहत शराब की दुकानों का 100 फीसद निजीकरण कर दिया गया था। दरअसल, पुरानी शराब नीति के तहत 60 फीसद सरकारी और 40 फीसद निजी शराब की दुकानें खोले जाने का प्रावधान था, लेकिन नई शराब नीति के लागू किए जाने के बाद 100 फीसद शराब की दुकानें निजी कारोबारियों के हाथों में सौंप दी गई। इसके अलावा लाइसेंस शुल्क को भी नई शराब नीति के तहत बढ़ा दिया गया था। बता दें कि पुरानी शराब नीति के तहत जहां किसी भी कारोबारी को लाइसेंस प्राप्त करने हेतु 25 ला्ख रुपए देने होते थे, तो वहीं नई शराब नीति के लागू किए जाने के बाद इस शुल्क को बढ़ाकर 4 करोड़ रुपए कर दिया गया था, जिसका बीजेपी ने प्रतिकार किया था। वहीं, इस मामले में नया ट्विस्ट तब सामने आया था, जब तत्कालीन मुख्य सचिव ने इस शराब नीति में अनियमितता का आरोप लगाकर उपराज्यपाल से सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इसके बाद बीजेपी आप पर हमलावर हो गई थी। बहरहाल, पूरे मामले की जांच जारी है। अब ऐसे में यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।