नई दिल्ली। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने लिए जिस सरकारी आवास का निर्माण कराया था उसे लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सीएम आवास पर तय लागत से तीन गुना से अधिक रकम खर्च की गई है। केजरीवाल के आवास के निर्माण में पहले 7.91 करोड़ रुपये के प्रारंभिक अनुमान लगाया गया बाद में 2020 में इसके निर्माण की लागत 8.62 करोड़ रुपये तय की गई। जब इसे 2022 में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की तरफ से पूरा किया गया, तो केजरीवाल के घर में आई कुल लागत 33.66 करोड़ रुपये थी।
31 मार्च 2022 तक पीडब्ल्यूडी के खर्च को कवर करने वाली सीएजी रिपोर्ट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक आवास, जिसे बीजेपी ‘शीशमहल’ कहती है, के नवीनीकरण में कथित अनियमितताओं पर प्रकाश डाला गया है। हालाँकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑडिट के लिए पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई थी। केजरीवाल द्वारा आवास खाली करने के बाद पीडब्ल्यूडी द्वारा तैयार की गई बाद की सूची में कथित तौर पर करोड़ों रुपये की विलासिता सामग्री का खुलासा हुआ। आरोप सामने आए हैं कि घर खाली करने से पहले सोने की परत वाली टॉयलेट सीटें और वॉशबेसिन हटा दिए गए थे। इस तरह से संपत्ति पर कुल खर्च 75-80 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार तत्कालीन नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मू ने 20 नवंबर, 2024 को पद छोड़ने से ठीक एक सप्ताह पहले इस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए थे। आपको बता दें कि बीजेपी समेत कांग्रेस भी केजरीवाल पर शीशमहल को लेकर हमलावर है। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी रविवार को दिल्ली के अशोक विहार में आयोजित परिवर्तन रैली में कहा था कि जब दिल्लीवासी कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन और दवाओं के लिए संघर्ष कर रहे थे, तब मुख्यमंत्री केजरीवाल का पूरा ध्यान अपने ‘शीशमहल’ पर था।