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Supreme Court On CLAT: क्लैट की परीक्षा का जिम्मा एनएलयू कॉन्सोर्टियम से लेकर किसी और को देना चाहिए?, सुप्रीम कोर्ट ने सवालों में गड़बड़ी पर कठोर रुख अपनाया

Supreme Court On CLAT: जस्टिस गवई और जस्टिस मसीह की बेंच ने कहा कि साल 2018 में क्लैट की परीक्षा प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया था। इसके बाद भी केंद्र सरकार और बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इसे ठीक करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कॉन्सोर्टियम और बार काउंसिल ऑफ इंडिया शुक्रवार तक जवाब दाखिल करें।

नई दिल्ली। क्लैट यानी कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट। देश की सभी लॉ यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए क्लैट की परीक्षा पास करनी होती है, लेकिन लगातार क्लैट की परीक्षा पर सवाल खड़े होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी बुधवार को क्लैट की परीक्षा में कई गलत सवालों के मामले में गंभीरता दिखाते हुए इस परीक्षा को कराने वाले कॉन्सोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज को निर्देश दिया है कि वो मेरिट लिस्ट को संशोधित करे। कोर्ट ने इस मामले में कॉन्सोर्टियम को जमकर फटकार भी लगाई। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने क्लैट मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के कुछ निर्देशों को रद्द किया। साथ ही कुछ सवालों को पूरी तरह हटाने और कुछ सवालों में प्रतिभागियों को अंक देने के लिए भी कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने क्लैट परीक्षा कराने में लगातार हो रही लापरवाही पर सख्त रुख अपनाया। अदालत ने कहा कि सबसे पहले इस बात पर खेद होता है कि कॉन्सोर्टियम ने क्लैट जैसी लाखों छात्रों के करियर से जुड़ी अहम परीक्षा के प्रश्नों को तैयार करने में घोर लापरवाही की है। जस्टिस गवई और जस्टिस मसीह की बेंच ने कहा कि साल 2018 में क्लैट की परीक्षा प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया था। इसके बाद भी केंद्र सरकार और बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इसे ठीक करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कॉन्सोर्टियम और बार काउंसिल ऑफ इंडिया शुक्रवार तक जवाब दाखिल करें।

क्लैट परीक्षा में गलत सवाल पूछे जाने पर जस्टिस बीआर गवई ने सवाल दागा कि क्या आप 16 से 17 साल की उम्र के बच्चों से ये अपेक्षा करते हैं कि वे कैलकुलेटर लेकर परीक्षा देने आएं? उन्होंने कहा कि ऐसे कठिन सवाल आखिर पूछे कैसे जा सकते हैं? जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि क्लैट के इम्तिहान को नीट और जेईई की तरह एक स्थायी संस्था क्यों नहीं करा सकती? कोर्ट में क्लैट परीक्षा का ये मामला सिद्धि संदीप लाडा और आदित्य सिंह की ओर से दाखिल किया गया था। लाडा को क्लैट में 22वीं रैंक मिली थी। याचिकाओं में कहा गया था कि क्लैट परीक्षा के पेपर के ‘ए’ सेट में परीक्षा देने वालों को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत नहीं दी गई। वहीं, पेपर के अन्य सेट में गलत सवालों पर अंक देने के निर्देश दिए गए।