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Shrimad Bhagwad Gita: श्रीमद्भगवद गीता को मोदी सरकार दे सकती है राष्ट्रीय ग्रंथ का दर्जा, गृह मंत्रालय ले रहा राय

श्रीमद्भगवद गीता, महाभारत महाकाव्य का एक हिस्सा है। इसमें महाभारत युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र में अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण का उपदेश है। गीता में मानव जाति को जीवन जीने के तौर तरीकों के बारे में जानकारी दी गई है। इसमें धर्म के रास्ते पर चलते हुए अच्छे कर्म करने और मोह-माया का त्याग करते हुए फल की चिंता किए बगैर अपने काम को करते रहने के लिए कहा गया है।

नई दिल्ली। राष्ट्रीय प्रतीकों में अब महाभारत के अंश श्रीमद्भगवद गीता को भी शामिल किया जा सकता है। न्यूज चैनल ‘एबीपी न्यूज’ ने ये खबर दी है। न्यूज चैनल के मुताबिक मोदी सरकार जल्दी ही राष्ट्रीय गान, राष्ट्र गीत, राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय पशु, राष्ट्रीय पक्षी और राष्ट्रीय पुष्प के साथ भगवान श्रीकृष्ण की वाणी के तौर पर दुनियाभर में मशहूर श्रीमद्भगवद गीता को भी राष्ट्रीय ग्रंथ का दर्जा दे सकती है। इस बारे में सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। काफी पहले से गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ का दर्जा देने की मांग चली आ रही थी। चैनल के मुताबिक केंद्र सरकार इस बारे में मंत्रालयों से राय ले रही है।

AMIT SHAH

महाराष्ट्र से बीजेपी के सांसद गोपाल शेट्टी ने सरकार को चिट्ठी लिखकर श्रीमद्भगवद गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ के तौर पर मान्यता देने की मांग की थी। गोपाल ने ये चिट्ठी इस साल 5 जुलाई को लिखी थी। उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह को भेजी चिट्ठी में गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने का आग्रह किया था। खबर है कि शाह ने 18 जुलाई को गोपाल शेट्टी को इस चिट्ठी का जवाब भेजा है। उन्होंने लिखा है कि आपके पत्र पर जरूरी कदम उठाने के लिए संबंधित मंत्रालयों को इसे भेजने का निर्देश दिया गया है। गृहमंत्री के दफ्तर में अवर सचिव रेनू सूरी ने 1 अगस्त को इस बारे में जानकारी दी है। फिलहाल जानकारी के मुताबिक श्रीमद्भगवद गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ के तौर पर मान्यता देने के बारे में गृह मंत्रालय ने शिक्षा मंत्रालय से राय मांगी। शिक्षा मंत्रालय ने 10 अगस्त को अपनी राय भेज दी है। वहीं, अब संस्कृति मंत्रालय से राय मांगी गई है।

shrimad bhagwad gita 2

श्रीमद्भगवद गीता, महाभारत महाकाव्य का एक हिस्सा है। इसमें महाभारत युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र में अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण का उपदेश है। गीता में मानव जाति को जीवन जीने के तौर तरीकों के बारे में जानकारी दी गई है। इसमें धर्म के रास्ते पर चलते हुए अच्छे कर्म करने और मोह-माया का त्याग करते हुए फल की चिंता किए बगैर अपने काम को करते रहने के लिए कहा गया है।