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Military Modernisation: पाकिस्तान बॉर्डर पर पहरा दे रहा ‘साइलेंट संतरी’, सेना का काम हुआ आसान..क्या हैं खासियतें ?

Military Modernisation: इसका कई जगह ट्रायल हो चुका है और अगले महीने लेह में और रेगिस्तान में सेना इसका ट्रायल करवाया जाएगा। ये अनमैंड इलैक्ट्रिक व्हीकल चार से छह घंटे तक और डीजी मोटर लगी हो तो 12 से 15 घंटे तक काम कर सकता है। इसमें कैमरे लगे हैं जो दिन-रात हर वक्त काम कर सकते हैं।

नई दिल्ली। भारतीय सेना बीते कई सालों से मॉर्डनाइज़ेशन पर जोर दे रही है। सेना का डिजाइन ब्यूरो कई नई तकनीकों पर इस वक्त काम कर रहा है। डिजाइन ब्यूरो ने अब एक ऐसा रोबोट तैयार किया है जो बॉर्डर पर पेट्रोलिंग कर सकता है। इस अनोखे रोबोट को ‘साइलेंट संतरी’ नाम दिया गया है। इस साइलेंट संतरी की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये दिन रात किसी भी मौसम में सरहद पर निगरानी रख सकता है। इसे फिलहाल जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान से लगी सीमा पर तैनात किया गया है। आर्मी डिजाइन ब्यूरो ने इस साइलेंट संतरी का डिजाइन देसी उद्योग के साथ भी साझा किया है ताकि बड़ी संख्या में इसका प्रॉडक्शन किया जा सके।

INDIAN ARMY
इसे डिजाइन करने वाले मेजर पारस कंवर हैं। ये रोबोट लगातार 6 घंटे तक पेट्रोलिंग कर सकता है और खास बात ये है कि बैटरी डाउन होने पर ये खुद को चार्जिंग पॉइंट तक ले जाकर चार्ज कर लेता है और फिर से पेट्रोलिंग शुरू कर देता है।ये अपने डेटाबेस से चेहरों की पहचान करता है और कोई अनजान चेहरा दिखने पर तुरंत अलर्ट भेज देता है। ये वायरलेस के जरिए 5 से 10 किमी दूर बने आर्मीबेस में डेटा भेज सकता है। ये एक थ्रीडी प्रिटेंड रोबोट है। असल में ये 5 से 6 रोबोट की एक पूरी फैमिली है। जब एक रोबोट चार्जिंग पर जाता है तो दूसरा रोबोट उसकी जगह लेकर एरिया की निगरानी करने लगता है। ये एक रेल माउंटेड रोबोट है जिसे लाइन ऑफ कंट्रोल या इंटरनैशनल बॉर्डर की फेंसिंग वॉल पर लगाया जा सकता है।

इसका कई जगह ट्रायल हो चुका है और अगले महीने लेह में और रेगिस्तान में सेना इसका ट्रायल करवाया जाएगा। ये अनमैंड इलैक्ट्रिक व्हीकल चार से छह घंटे तक और डीजी मोटर लगी हो तो 12 से 15 घंटे तक काम कर सकता है। इसमें कैमरे लगे हैं जो दिन-रात हर वक्त काम कर सकते हैं।

Indian Army

इसकी रेंज तीन किमी तक है और इसका कैमरा दो किमी दूर तक देख सकता है, व्हीकल में 500 किलो तक वजन ढोया जा सकता है। आर्मी बैटल फील्ड में गोला बारूद की सप्लाई या घायल सैनिकों को ले जाने के लिए भी इसका इस्तेमाल कर सकती है। इस व्हीकल के साथ पैदल सेना और टैंक यूनिट ने ट्रायल एक्सरसाइज भी की है। पैदल सेना ने लॉजिस्टिक करियर के तौर पर इसका इस्तेमाल किया था। वहीं टैंक यूनिट ने 5-6 टैंकों के आगे ये व्हीकल तैनात किया था। इसने दुश्मन की लोकेशन देखी और उसकी जानकारी टैंक कमांडर को दी फिर उस हिसाब से ही टैंक आगे बढ़ा।