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Manish Sisodia: सिसोदिया अब जेल में ही मनाएंगे ‘नया साल’, कोर्ट ने इतने दिनों के लिए फिर बढ़ा दी हिरासत

Manish Sisodia: दिल्ली शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार मनीष सिसोदिया को फिर से कोई राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर उनकी हिरासत अवधि बढ़ा दी है। अब उन्हें आगामी 19 जनवरी तक जेल में ही रहना होगा। इसके अलावा कोर्ट ने आरोपी के अधिवक्ता को सीबीआई के दस्तावेजों का निरीक्षण करने के लिए 15 जनवरी तक का समय दिया है।

नई दिल्ली। दिल्ली शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार मनीष सिसोदिया को फिर से कोई राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर उनकी हिरासत अवधि बढ़ा दी है। अब उन्हें आगामी 19 जनवरी तक जेल में ही रहना होगा। इसके अलावा कोर्ट ने आरोपी के अधिवक्ता को सीबीआई के दस्तावेजों का निरीक्षण करने के लिए 15 जनवरी तक का समय दिया है।

गौरतलब है कि दिल्ली शराब घोटाला मामले में आप के तीन बड़े नेताओं को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिसमें सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह का नाम शामिल है। वहीं, अब जांच की आंच केजरीवाल तक पहुंच चुकी है। ईडी उन्हें दो दफा पूछताछ के लिए समन जारी कर चुकी है, लेकिन उन्होंने एक बार भी आना मुनासिब नहीं समझा। ध्यान दें, केजरीवाल 19 से लेकर 30 दिसंबर तक विपशना में हैं। ऐसे में उनके लिए ईडी के समक्ष पेश होना मुश्किल है। हालांकि, उन्होंने अपनी ओर से जवाब दाखिल कर दिया है। वहीं, विधिक विशेषज्ञों की माने तो आमतौर पर तीन समन को नजरअंदाज किया जा सकता है। ऐसे में माना जा रहा है कि केजरीवाल अब संभवत: चौथे समन जारी करने के बाद ही पूछताछ के लिए ईडी के समक्ष पेश होंगे।

Arvind Kejriwal

उधर, आम आदमी पार्टी ईडी की ओर से केजरीवाल को जारी हुए समन को बीजेपी का फरमान बता रही है। वहीं, जवाब में बीजेपी का कहना है कि केजरीवाल को पता है कि वो गलत हैं, इसलिए मुख्यमंत्री साहब ईडी की पूछताछ से डर रहे हैं। बहरहाल, इस पूरे मुद्दे को लेकर दोनों दलों के बीच जुबानी जंग अपने चरम पर है। ऐसे में अब यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन आइए उससे पहले जरा ये जान लेते हैं कि आखिर दिल्ली शराब घोटाला क्या है ?

पुरानी और नई शराब नीति में क्या फर्क था ?

दरअसल, पुरानी शराब नीति के तहत 60 फीसद सरकारी और 40 फीसद निजी शराब की दुकानें खोलने का प्रावधान था, जबकि नई शराब नीति के तहत 100 फीसद निजी शराब की दुकानें खोलने का प्रावधान किया गया। इसके लिए लाइसेंस की व्यवस्था भी की गई। पुरानी शराब नीति के अंतर्गत जहां किसी भी कारोबारी को लाइसेंस प्राप्त करने के लिए 25 लाख रुपए का शुल्क अदा करना पड़ता था, तो वहीं नई शराब नीति के लागू किए जाने के बाद अब कारोबारियों को 4 करोड़ रुपए का भारी भरकम रकम अदा करना पड़ा, लेकिन ताज्जुब कि बात है कि कारोबारियों ने करोड़ों की रकम अदा करने में किसी भी प्रकार का संकोच नहीं किया, जिससे दिल्ली सरकार के राजस्व में भारी भरकम इजाफा हुआ, लेकिन इस पूरे मामले में नया मोड़ तब सामने आया, जब तत्कालीन प्रमुख सचिव ने नई शराब नीति में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर उपराज्यपाल को खत लिखा और सीबीआई जांच की सिफारिश की। इसके बाद सीबीआई ने पूरे मामले की जांच शुरू की। वहीं, धनशोधन का मामला सामने आने के बाद ईडी ने भी एंट्री मारी। वहीं, अब तक जांच में आप के तीन बड़े नेताओं को सलाखों के पीछे भेज दिया गया है। उधर, अब केजरीवाल को भी इस मामले में दो दफा समन जारी किया जा चुका है। ऐसे में यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।