नई दिल्ली। निसंदेह, यह हतप्रभ कर देने वाली स्थिति है…!,जो पश्चिमी मीडिया भारतीय राजनीतिक प्रसंगों को आलोचनात्मक दृष्टि से अपने लेखों में प्रस्तुत किया करती थीं। अब उसी पश्चिमी मीडिया बिरादरी से जुड़े पत्रकारों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर प्रेम का सैलाब कहां और कैसे उमड़ पड़ा कि अब यही लोग आगामी लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी की जीत की भविष्यवाणी कर रहे हैं?….जो पश्चिमी मीडिया पीएम मोदी को वैश्विक मंच पर एक विलेन के रूप में प्रस्तुत किया करती थी। आखिर अब उसी मीडिया को क्या हो गया कि वो प्रधानमंत्री के नाम तारीफों के कसीदे पढ़ रहे हैं? आखिर ये सब क्या चल रहा है। जरा कुछ खुलकर बताएंगे, तो चलिए आगे कि रिपोर्ट में आपको पूरा झोल तफसील से समझाएंगे, लेकिन आइए उससे पहले जरा ये जान लेते हैं कि आखिर पश्चिमी मीडिया ने पीएम मीदी के संदर्भ में ऐसा क्या कह दिया?
आपको बता दें कि बीते दिनों गार्जियन में छपे एक लेख में दावा किया गया था कि आगामी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत तय है। जिस तरह से उनके नेतृत्व में पार्टी ने देश के तीन बड़े हिंदी सूबों में जीत हासिल की है, उससे तो एक बात यह है कि बीजेपी को आगामी लोकसभा चुनाव में जीत का परचम लहराने से दुनिया की कोई भी ताकत नहीं रोक सकती है। यकीनन, पीएम मोदी के नेतृत्व में पार्टी ने बुनियादी स्तर पर बेहतरीन काम किया है, जिसका असर बीते दिनों हुए विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिला था।
गौरतलब है कि कांग्रेस की सभी रणनीतियों को ध्वस्त करते हुए बीते दिनों राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में पार्टी ने जीत का परचम लहराया था। जिसे ध्यान में रखते हुए हाल ही में गार्जियन ने दावा किया है कि आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी भारी मतों से जीत हासिल करने जा रही है।
वहीं, अब भारत में कुछ लोग इस बात को हजम नहीं कर पा रहे हैं कि गार्जियन सरीखे अखबार के कलमकारों के मन में पीएम मोदी को लेकर प्रेम कहां से उमड़ पड़ा, तो इसके पीछे का गणित आपको समझना होगा। सर्वप्रथम तो आप यह समझ लीजिए कि भारत के अधिकांश बुद्धिजीवी अंग्रेजी पाठक इस डिजिटल युग में विदेशी भूमि पर घट रही घटनाओं से अवगत होने हेतु गाहे-बगाहे पश्चिमी मीडिया पर आश्रित हैं या यूं कह लीजिए कि इस डिजिटल युग ने पश्चिमी मीडिया को अर्थ के मोर्चे पर बड़ा बाजार दे दिया है, जिसे वो अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती।
अगर भारत का आतुर अंग्रेजी पाठक का पश्चिमी मीडिया से मोहभंग हुआ, तो यकीनन यह उनके लिए भी बड़ा झटका होगा और इस प्रयोग को पश्चिम के पत्रकारों का कुनबा कई दफा जमीनी स्तर पर आजमा भी चुका है। संभवत: इसी बात को ध्यान में रखते हुए अब गार्जियन सरीखे अखबारों का पीएम मोदी को लेकर आगमी लोकसभा चुनाव से पूर्व प्रेम उमड़ा है और शायद यही वजह है कि अब गार्जियन प्रधानमंत्री के संदर्भ में भूरी-भूरी प्रशंसा करने पर आमादा नजर आ रहा है।