newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Congress In Dock: भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सोनिया और खरगे समेत कांग्रेस के कई नेताओं को न्योता, जानिए ये निमंत्रण आखिर पार्टी के लिए क्यों है धर्मसंकट!

कांग्रेस के लिए ये बड़ा धर्मसंकट होगा, क्योंकि उस पर आरोप लगता रहा है कि वो राम मंदिर बनने के खिलाफ रही है। 1992 में जब बाबरी मस्जिद नाम के विवादित ढांचे को ढहा दिया गया था, तब कांग्रेस की तत्कालीन सरकार के पीएम नरसिंह राव ने दोबारा वहां मस्जिद बनाने की बात कही थी।

अयोध्या। कांग्रेस के सामने बड़ा धर्मसंकट खड़ा होने के आसार हैं। वजह है 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह। जानकारी के मुताबिक श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर सोनिया गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के अलावा लोकसभा में नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी को भी न्योता भेजा है। सूत्रों के हवाले से मीडिया ने खबर दी है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और अधीर रंजन चौधरी से मिलकर ये न्योता दिया। इस खबर के सामने आने के बाद अब चर्चा इसकी है कि कांग्रेस के ये तीनों बड़े नेता अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आते हैं या नहीं।

ayodhya ram temple

मीडिया की खबरों के मुताबिक श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और एचडी देवगौड़ा को भी न्योता दिया है। तमाम और विपक्षी नेताओं को भी न्योता दिया जाएगा। कांग्रेस के लिए ये बड़ा धर्मसंकट होगा, क्योंकि उस पर आरोप लगता रहा है कि वो राम मंदिर बनने के खिलाफ रही है। 1992 में जब बाबरी मस्जिद नाम के विवादित ढांचे को ढहा दिया गया था, तब कांग्रेस की तत्कालीन सरकार के पीएम नरसिंह राव ने दोबारा वहां मस्जिद बनाने की बात कही थी। इसके अलावा कांग्रेस के सांसद रहते कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में ये अर्जी दी थी कि 2019 के लोकसभा चुनाव नतीजे के बाद ही राम मंदिर के मसले पर फैसला हो। इसे कोर्ट ने ठुकरा दिया था।

यूपीए सरकार के दौर में रामसेतु के केस में भगवान राम को काल्पनिक चरित्र बताया गया था।

इसके अलावा कांग्रेस की यूपीए सरकार के दौर में रामसेतु को तोड़ने का भी फैसला हुआ था। ताकि जहाजों को रास्ता मिल सके। इसका भी बीजेपी और अन्य हिंदूवादियों ने जमकर विरोध किया था। इन्हीं सब वजहों से कांग्रेस को रामद्रोही तक कहा गया। यूपीए सरकार के दौर में जब रामसेतु का मसला सुप्रीम कोर्ट गया, तो सरकार की तरफ से भगवान राम के लिए कहा गया कि वो एक काल्पनिक पात्र हैं। अब जबकि सोनिया गांधी, खरगे, अधीर रंजन, मनमोहन सिंह वगैरा को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर बुलाया गया है, तो देखना है कि कांग्रेस के नेता उसमें शरीक होते हैं या नहीं। अगर कांग्रेस के नेता इस समारोह में नहीं जाते हैं, तो लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी पर मंदिर और राम विरोधी होने का जो पुरानी तोहमत लगी हुई है, वो और बड़ा रूप लेगी।