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Uttarakhand: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले हल्द्वानी राजनीति करने पहुंचे सपा नेता हसटी हसन, कह दी ऐसी बात 

Uttarakhand: अब इस पूरे मसले को लेकर राजनीति तेज हो चुकी है। इसी कड़ी में आज सपा नेता एसटी हसन हल्द्वानी पहुंचे। जहां उन्होंने प्रदर्शनकारियों की सूध ली। उन्होंने दावा किया मैं यहां राजनीति करने नहीं आया हूं। लेकिन मैं एक सवाल पूछना चाहूंगा कि आखिर एकाएक रेलवे के पास इतनी जमीन कहां से आ गई है।

नई दिल्ली। उत्तराखंड के हल्द्वानी की बनभूलपुरा जमीन पर 4 हजार से भी अधिक लोगों द्वारा अतिक्रमण के मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रेलवे के पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने रेलवे के उस दावे पर भी मुहर लगा दी है। जिसमें रेलवे ने बनभूलपुरा की जमीन को अपना बताया था। रेलवे का दावा था कि इस जमीन पर यह लोग अतिक्रमण करके रह रहे हैं। जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए जमीन खाली करने का आदेश दे दिया है। लेकिन यहां रह रहे लोगों का दावा है कि यह जमीन रेलवे की नहीं, बल्कि नोजल की है, लेकिन अब हाईकोर्ट के फैसले के बाद हजारों परिवारों के घरों पर बुलडोजर चलने की संभावना प्रबल हो चुकी है। बता दें कि अब गुरुवार को हल्द्वानी अतिक्रमण मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। दरअसल, हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। ऐसे में सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि कोर्ट का क्या फैसला आता है।

उधर, अब इस पूरे मसले पर राजनीति भी तेज हो चुकी है। इस सिलसिले में आज सपा नेता एसटी हसन हल्द्वानी भी पहुंचे। जहां उन्होंने प्रदर्शनकारियों की सुध ली। उन्होंने दावा किया मैं यहां राजनीति करने नहीं आया हूं। लेकिन मैं एक सवाल पूछना चाहूंगा कि आखिर एकाएक रेलवे के पास इतनी जमीन कहां से आ गई है? प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह जमीन रेलवे का नहीं है। सपा नेता ने कहा कि यह लोग यहां पिछले 100 सालों से रह रहे हैं। उनके पास सभी कार्ड हैं। सामाजिक सुविधाओं को प्राप्त करने की सारी विधि तैयारी का जा चुकी है। जिस जमीन पर रेलवे अपना दावा कर रही है, वहां स्कूल, अस्पताल सहित अन्य सरकारी संस्थान हैं। अब आप इसे एकाएक अतिक्रमण बता रहे हैं।

यह बात हजम नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारे पक्ष में होगी। ध्यान रहे कि हल्द्वानी में सपा सांसद के अलावा अन्य दलों के नेता भी पहुंचे। जहां उन्होंने उम्मीद जताई है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला हजारों परिवारों के पक्ष में आएगा। वहां बाशिंदों का दावा है कि वो यहां सैकड़ों वर्षों से रहते आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में एकाएक रेलवे द्वारा इस जमीन को अतिक्रमण युक्त बताना अनुचित है। उधर, इस पूरे मसले को लेकर एएमयू में विरोध प्रदर्शन देखने को मिला है। छात्रों ने हाथों में पोस्टर बैनकर लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले का विरोध किया। अब ऐसे में यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।