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Electoral Bond: एसबीआई को इलेक्टोरल बॉण्ड के बारे में आज चुनाव आयोग को सौंपनी होगी सारी जानकारी, 15 मार्च को जारी होंगे सारे आंकड़े

Electoral Bond: इलेक्टोरल बॉण्ड की स्कीम मोदी सरकार 2017 में लाई थी। इस बॉण्ड स्कीम को 2018 से लागू किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से कहा है कि जबसे इलेक्टोरल बॉण्ड की शुरुआत हुई और 2023 तक जिन्होंने इसे खरीदा, उन सबके नाम उजागर किए जाएं।

नई दिल्ली। स्टेट बैंक (एसबीआई) को आज चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉण्ड के बारे में हर जानकारी मुहैया करानी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के बाद एसबीआई को आज की तारीख दी थी। एसबीआई ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी कि इलेक्टोरल बॉण्ड के मामले में उसे 30 जून तक की मोहलत दी जाए। एसबीआई का कहना था कि डेटा जारी करने के लिए बहुत हिसाब-किताब लगाना होगा। एसबीआई की ये दलील सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आज रात 12 बजे तक हर हाल में एसबीआई को इलेक्टोरल बॉण्ड के बारे में हर जानकारी चुनाव आयोग को सौंपनी होगी। चुनाव आयोग इस डेटा को 15 मार्च को अपने पोर्टल में जारी करेगा।

इलेक्टोरल बॉण्ड की स्कीम मोदी सरकार 2017 में लाई थी। इस बॉण्ड स्कीम को 2018 से लागू किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से कहा है कि जबसे इलेक्टोरल बॉण्ड की शुरुआत हुई और 2023 तक जिन्होंने इसे खरीदा, उन सबके नाम उजागर किए जाएं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स नाम की संस्था ने इस बारे में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। जिसपर संविधान पीठ ने सुनवाई की और इलेक्टोरल बॉण्ड को असंवैधानिक घोषित कर दिया। अब एसबीआई को कोर्ट के आदेश पर इलेक्टोरल बॉण्ड को कब किसने किसके लिए खरीदा, ये सारी जानकारी देनी होगी।

इलेक्टोरल बॉण्ड से सबसे ज्यादा रकम बीजेपी को मिली है। बीजेपी के अलावा कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, बीजेडी और अन्य दलों को भी इलेक्टोरल बॉण्ड के जरिए दान में पैसा मिला है। इलेक्टोरल बॉण्ड को मोदी सरकार ये कहकर लाई थी कि इससे पार्टियों को काला धन मिलने में रोक लगेगी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस पर रोक लगाए जाने के बाद सरकार अगला कदम किस तरह का उठाती है, इस पर सबकी नजर है।