नई दिल्ली। चीन अपनी चालबाजी से बाज नहीं आ रहा है। अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताने वाले चीन ने अब भारत के इस राज्य के 11 स्थानों के नाम बदलकर उसकी लिस्ट जारी की है। चीन इससे पहले 2 बार ऐसी ही हरकत कर चुका है। भारत ने चीन की तरफ से अरुणाचल प्रदेश की जगहों के नाम बदले जाने को अस्वीकार्य बताया है। चीन अरुणाचल प्रदेश को जंगनान नाम से संबोधित करता है। उसके गृह मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश के इन 11 जगहों के नए नाम चीन की भाषा मैंडरिन, तिब्बती और पिनयिन भाषा में जारी किए। चीन ने इससे पहले साल 2018 में 6 और 2021 में अरुणाचल के 15 जगहों का नाम बदलकर लिस्ट जारी की थी।
Flash: Chinese authorities announce new names of 11 locations in the Indian state of Arunachal Pradesh. Announcement made by Chinese civil aviation ministry. Notification: pic.twitter.com/p8EwoCj4Of
— Sidhant Sibal (@sidhant) April 3, 2023
चीन की तरफ से भारत के आंतरिक मामलों में इस तरह के हस्तक्षेप पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बयान जारी किया है। बागची ने कहा है कि ये पहली बार नहीं है कि चीन ने इस तरह की कोशिश की है। भारत सरकार इसे सिरे से खारिज करती है। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है और रहेगा। बागची ने कहा कि चीन की तरफ से ऐसी कोशिशों से हकीकत बदलने वाली नहीं है।
This is not first time China has made such an attempt. We reject this outright. Arunachal Pradesh an integral, inalienable part of India. Attempts to assign invented names will not alter this reality: MEA on renaming of places in Arunachal Pradesh by China pic.twitter.com/HjsfGDkYLG
— ANI (@ANI) April 4, 2023
उधर, चीन की सरकार के मुखपत्र ‘द ग्लोबल टाइम्स’ का कहना है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारी अरुणाचल प्रदेश के 11 स्थानों के नाम बदले जाने को मानकीकृत भौगोलिक बता रहे हैं। चीन और भारत के बीच पूर्वी लद्दाख में काफी तनाव चल रहा है। अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर भी दोनों की सेनाओं के बीच कई बार झड़प हो चुकी है। तिब्बत पर चीन ने साल 1959 में कब्जा कर लिया था। उसके बाद तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने भारत में शरण ली थी। दलाई लामा अब हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रहते हैं।