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नेताजी : दिल्ली में हर बार 18 अगस्त को क्यों छा जाता मौन?

देश की आजादी के आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Neta ji subhash chandra bose) की पुण्यतिथि पर खास उत्साह दिखने के बजाय मौन छाया दिखाई पड़ता है।

नई दिल्ली। देश की आजादी के आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Neta ji subhash chandra bose) की पुण्यतिथि पर खास उत्साह दिखने के बजाय मौन छाया दिखाई पड़ता है। हर साल की तरह नई दिल्ली 18 अगस्त को मौन अवस्था में जागी, जबकि यह कोई आम दिन नहीं है। स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस का निधन 1945 में आज ही के दिन हुआ था। हालांकि, उनका निधन हमेशा से विवादास्पद रहा है और काफी लोग मानते हैं कि 75 साल पहले इसी दिन नेताजी ‘गायब’ हो गए थे। उनके ठिकाने या स्थिति के बारे में विभिन्न जांच आयोगों के परस्पर विरोधी निष्कर्षों के साथ, नई दिल्ली ने केंद्रीय मंत्रियों और राजनेताओं द्वारा व्यक्तिगत ट्वीट्स के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अपने प्रमुख नायकों में से एक को याद किया।

subhash chandra bose

नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी ने एक भावुक ट्वीट किया। उन्होंने जापान में अपने पहले के दिनों को याद करते हुए कहा, “जब मैं 70 के दशक के मध्य में टोक्यो स्थित भारतीय दूतावास में एक युवा राजनीतिक अधिकारी था, तो मैं गौमुशो के इंडिया डेस्क अधिकारी के साथ हर साल इस अवसर पर रेंकोजी मंदिर के दौरे पर जाता था। वहां पर नेताजी की अस्थियां रखी गई हैं। हम पुजारी को उनकी देखभाल करने के लिए धन्यवाद देते हैं।”

मगर 18 अगस्त के दिन एक मौन या चुप्पी रहने का एक कारण यह भी है कि नेताजी की मौत और उनसे जुड़े किस्से-कहानियों पर हमेशा ही मतभेद रहे हैं। पुरी ने जहां रेंकोजी मंदिर में नेताजी की अस्थियां रखे होने की बात कही। वहीं ऐसे भी लोग रहे, जिनका मानना है कि वहां उनकी अस्थियां नहीं हैं। ‘कुंड्रम : सुभाष बोस लाइफ आफ्टर डेथ’ किताब लिखने वाले अनुज धर ने टिप्पणी की है कि मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, रेंकोजी अवशेष एक जापानी सैनिक के हैं।

पीआईबी के मुख्य ट्विटर हैंडल ने बोस के विषय पर कोई ट्वीट नहीं किया। मुख्य रूप से यह मौन प्रतिक्रिया इसलिए है, क्योंकि बोस की मौत पर कोई एकमत नहीं है। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी जापान यात्रा के दौरान रेंकोजी मंदिर की यात्रा पर गए थे, तब उन दावों के बारे में हालिया संदेह पैदा हुआ था, जिनमें कहा जाता है कि वहां नेताजी की अस्थियां रखी हुई हैं।

PM Modi pay tribute Subhash chandra Bose

टीएमसी सांसद सुकेंदु शेखर रॉय ने कहा, “मेरा मानना है कि भारत सरकार के लिए पूरे रहस्य को सुलझाने का समय आ गया है, ताकि हम जान सकें कि वास्तव में नेशनल आइकन के साथ क्या हुआ है।” रॉय संसद में लगातार नेताजी से संबंधित मुद्दों को उठाते रहते हैं।