नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम ने अपना पुराना तरीका बदला है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने ये फैसला किया है कि जजों की नियुक्ति के लिए संबंधित नामित लोगों के फाइल ही सिर्फ नहीं देखे जाएंगे। उन नामित न्यायिक अधिकारियों और वकीलों से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम आमने-सामने बात करेगा। जिसमें देखा जाएगा कि जिसे जज बनाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा जाना है, उसकी योग्यता कितनी है और व्यक्तित्व कैसा है। अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने रविवार को इलाहाबाद, राजस्थान और बॉम्बे हाईकोर्ट में जज के पद के लिए नामित लोगों से बातचीत कर उनकी योग्यता और व्यक्तित्व को परखा।
अब तक जिस न्यायिक अधिकारी या वकील को जज पद के लिए नामित किया जाता था, उसकी योग्यता, कानून के बारे में जानकारी और कितने वक्त से न्यायिक मामलों से जुड़े हैं, इसकी जानकारी संबंधित हाईकोर्ट से फाइल के जरिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के पास आती थी। इस फाइल पर दर्ज सूचनाओं के आधार पर गुणदोष निकाला जाता था और फिर सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जज के लिए नामित न्यायिक अधिकारी या वकील का नाम सरकार को भेजा जाता था। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बनने के बाद संजीव खन्ना ने इस परंपरा को बदला है। इससे सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में नियुक्त होने वाले जजों के संबंध में और पारदर्शिता आएगी।
कई बार आरोप लगते हैं कि कॉलेजियम पद्धति से जज अपनी पहचान वालों को सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट का जज बनवा देते हैं। ऐसे ही आरोपों के कारण मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल में जजों की नियुक्ति संबंधी कानून भी लाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था। इसके बाद भी लगातार ये मांग उठती रही कि जजों की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम बदलाव करे। अब चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने उसी दिशा में अहम कदम उठाया है। संबंधित न्यायिक अधिकारी या वकील से आमने-सामने की मुलाकात के बाद ही सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम अब सरकार को जज के लिए नामित व्यक्ति का नाम भेजेगा। जिसके बाद सरकार आईबी और अन्य एजेंसियों से नामित के बारे में पता लगाने का काम करेगी और सबकुछ ठीक होने पर जज के पद पर नियुक्ति की जाएगी।