
नई दिल्ली। अगर आप मेडिकल की पढ़ाई करना चाहते हैं, तो ये खबर आपके लिए है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के कोटे में मेडिकल की पोस्ट ग्रेजुएशन एडमिशन में मूल निवास वाले आरक्षण को खत्म कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने कहा कि इस तरह मेडिकल के एडमिशन में राज्य के मूल निवासी के नाते मिलने वाला आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जिन छात्रों ने मेडिकल की पोस्ट ग्रेजुएट पढ़ाई के लिए मूल निवास वाला आरक्षण लेकर एडमिशन लिया है, उन पर ये फैसला लागू नहीं होगा। ये फैसला भविष्य में होने वाले एडमिशन पर लागू होगा।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि भारत का निवासी होने के नाते कहीं भी रहने का अधिकार है। संविधान सभी को देश के शैक्षिक संस्थानों में एडमिशन चुनने का हक भी देता है। कोर्ट ने कहा कि सभी भारत के नागरिक हैं और प्रांत या राज्य जैसा कुछ नहीं है। हमारा निवास स्थान देश है और सभी को भारत में कहीं भी निवास चुनने और उसे मानने का हक है। कोई भी अपना कारोबार कहीं भी कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी खास राज्य में रहने वालों को मूल निवासी होने का आरक्षण दिया जा सकता है, लेकिन ये अधिकार ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए ही मिलेगा। पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए लागू नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि विशेषज्ञ डॉक्टरों का महत्व है। ऐसे में मेडिकल की ऊंची पढ़ाई के लिए मूल निवासी का आरक्षण देना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद नीट-पीजी परीक्षा में इस तरह का आरक्षण अब हट जाएगा। नीट-पीजी परीक्षा में अभ्यर्थियों को स्कोर करने पर मेडिकल कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएशन का मौका मिलेगा। अच्छी बात ये है कि जिन छात्रों ने मूल निवासी होने का आरक्षण लेकर पढ़ाई शुरू कर दी है, उन पर ये फैसला लागू नहीं होगा। हालांकि, जो अभ्यर्थी नीट-पीजी की परीक्षा देना चाहते हैं, उनके लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला झटका है। क्योंकि अब उनको मूल निवासी के तौर पर मिलने वाला आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।