
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली के रिज इलाके में बिना मंजूरी पेड़ काटने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण डीडीए के संबंधित अफसरों पर 25-25 हजार का जुर्माना लगाया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने बुधवार को इस मामले में ये फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि डीडीए के चेयरमैन और उस वक्त रहे वाइस चेयरमैन पर कोर्ट की अवमानना का केस नहीं चलाया जाएगा। जस्टिस सूर्यकांत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ये संस्थागत चूक और प्रशासनिक लापरवाही का मामला है।
जस्टिस सूर्यकांत ने दिल्ली के रिज इलाके में पेड़ों की कटान को गंभीर बताया है। जस्टिस सूर्यकांत ने ये कहा कि डीडीए के संबंधित अफसरों पर अवमानना का केस नहीं चलेगा, लेकिन इस मामले में विभागीय जांच जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि रिज इलाके में पेड़ों की कटान सत्ता का दुरुपयोग और प्रशासनिक अफसरों के गलत फैसले का नतीजा है। कोर्ट ने कहा कि भले ही अस्पताल के लिए सड़क को चौड़ा किया जाना है, लेकिन फिर भी पेड़ों को बिना मंजूरी काटने का फैसला पूरी तरह गलत है। कोर्ट ने कहा कि उन लोगों की पहचान होनी चाहिए, जिन्होंने सड़क का फायदा लिया। उनसे भुगतान भी लेना चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि डीडीए को सुधार करने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने 3 सदस्यों की कमेटी भी बनाई है। ये कमेटी देखेगी कि रिज इलाके में काटे गए पेड़ों की जगह नए पौधे लगाने की अगर जरूरत है, तो योजना बनाकर उस पर काम शुरू करवाया जाए। ये कमेटी वक्त-वक्त पर सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट भी देगी। सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए से कहा है कि वो कनेक्टिंग रोड बनवाए। वहां भी पौधे लगाने की संभावना कमेटी तलाशेगी। सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा था कि 1996 का आदेश है कि पेड़ काटने से पहले मंजूरी ली जाएगी और उस आदेश को नहीं माना गया। कोर्ट ने कहा था कि पेड़ों की कटान का तथ्य छिपाया गया। जानबूझकर जानकारी न देकर गलत मिसाल भी कायम की गई और ये आपराधिक अवमानना में आता है। कोर्ट ने डीडीए के वाइस चेयरमैन से पूछा था कि क्या उन्होंने दिल्ली के एलजी से मंजूरी लेकर पेड़ काटे? कोर्ट ने कहा था कि इस मामले को वो हल्के में नहीं लेगा।