
नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम यानी एमसीडी में एल्डरमैन यानी मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति मामले में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की सरकार को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर यानी एलजी को स्वतंत्र तौर पर एमसीडी में 10 एल्डरमैन को नामित करने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ कहा कि एल्डरमैन की नियुक्ति के लिए एलजी को दिल्ली की निर्वाचित सरकार की सलाह या सहायता के अनुसार काम करने की जरूरत नहीं है।
अरविंद केजरीवाल की सरकार ने एमसीडी में 10 एल्डरमैन नामित करने के एलजी के फैसले के खिलाफ 2023 में सुप्रीम कोर्ट गई थी। एलजी ने एमसीडी में 10 एल्डरमैन नामित किए थे। दिल्ली सरकार का कहना था कि पहले भी एमसीडी में एल्डरमैन को चुनी हुई सरकार नामित करती आई है और ये सरकार का ही अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2023 में अरविंद केजरीवाल सरकार की तरफ से एल्डरमैन को नामित करने के एलजी के फैसले की चुनौती पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब 14 महीने से ज्यादा वक्त के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है और इससे अरविंद केजरीवाल सरकार को बड़ा झटका लगा है।
एमसीडी में नामित किए गए एल्डरमैन को भी वोट देने का अधिकार होता है। ऐसे में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी चाहती थी कि एल्डरमैन को नामित करने के लिए उसके सुझाए नामों पर एलजी विचार करें, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि एमसीडी में एल्डरमैन नामित करने के मसले पर दिल्ली के एलजी को राज्य सरकार से न तो सलाह लेने की जरूरत है और न ही उसके भेजे किसी नाम पर विचार ही करना है। दिल्ली के एलजी अब जिसे भी चाहें, उसे एमसीडी का एल्डरमैन नामित कर सकते हैं।