
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गैंगरेप के मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर गिरफ्तार लोगों में से एक ने भी पेनिट्रेशन किया और सबकी एक मंशा रही, तो वे दोषी माने जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने गैंगरेप के दोषियों की सजा बरकरार रखते हुए ये फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि अभियोजन पक्ष को ये साबित करने की भी जरूरत नहीं कि सभी ने गैंगरेप के दौरान पेनिट्रेशन किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा 376(2) में कहा गया है कि एक ने भी रेप किया और बाकी अन्य की भी यही मंशा थी, तो साथ के सभी को दोषी ठहराया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि घटनाक्रम के मुताबिक रेप पीड़ित को अगवा कर गलत तरीके से कैद किया गया। उस पर यौन हमला भी किया गया। अभियोजन पक्ष ने कहा था कि आरोपियों ने पीड़ित का अपहरण कर रेप किया। वहीं, दोषी पाए गए लोगों का कहना था कि उन्होंने पीड़ित पर यौन हिंसा नहीं की। इसी वजह से उनको गैंगरेप का दोषी नहीं माना जा सकता। इस मामले में ट्रायल कोर्ट और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सभी को गैंगरेप का दोषी माना था। जिसे सुप्रीम कोर्ट में दोषियों ने चुनौती दी थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए उनकी दलील को सिरे से खारिज कर दिया।
गैंगरेप का ये मामला साल 2004 का है। मध्य प्रदेश के कटनी में पीड़ित 26 अप्रैल को एक शादी में गई थी। वहां से पीड़ित लड़की को दोषियों ने अगवा कर लिया। उसे बंधक बनाकर रखा। पीड़ित ने पुलिस से कहा था कि उससे रेप किया गया। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को पकड़ा। ट्रायल कोर्ट ने साल 2005 में इन दोनों को रेप का दोषी ठहराया था। बाद में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भी दोषियों की सजा की पुष्टि की। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी अब उनकी अपील खारिज कर दी है।