नई दिल्ली। आतंकवाद के दौर में पंजाब की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के सीएम रहे बेअंत सिंह की बम धमाका कर की गई हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर राष्ट्रपति को 2 हफ्ते में फैसला लेना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने बलवंत सिंह राजोआना की अर्जी पर ये निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से कहा है कि वो राष्ट्रपति के समक्ष बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पेश करे। बलवंत सिंह राजोआना को फांसी की सजा हो चुकी है, लेकिन उसे जेल में ही रखा गया है। बेअंत सिंह के हत्यारे राजोआना ने 2023 में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी। अपनी अर्जी में बलवंत सिंह राजोआना ने दलील दी थी कि उसकी दया याचिका पर विचार में देरी हुई है। इसलिए मौत की सजा को हटाकर कम सजा दी जाए।
बलवंत सिंह राजोआना पंजाब की पटियाला जेल में बंद है। उसे 1997 में बेअंत सिंह की हत्या का दोषी ठहराते हुए कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। बलवंत सिंह राजोआना 1967 में लुधियाना में जन्मा था। वो 1987 में पंजाब पुलिस में शामिल हुआ था। राजोआना के पिता मलकीत सिंह को आतंकियों ने मार दिया था। फिर राजोआना के दोस्त को पंजाब पुलिस ने मार दिया था। जिसके बाद राजोआना आतंकी बना। 31 अगस्त 1995 को बलवंत सिंह राजोआना अपने दोस्त दिलावर सिंह के साथ आईईडी बम लेकर पंजाब सचिवालय पहुंचा था। वहां, पंजाब के तत्कालीन सीएम बेअंत सिंह की इसी बम से हत्या कर दी गई थी। घटना में बेअंत सिंह के साथ 17 अन्य लोगों की भी जान गई थी। शहीद होने वालों में 3 कमांडो भी थे। बेअंत सिंह की हत्या में कितने ताकतवर बम का इस्तेमाल किया गया था, ये आप नीचे की तस्वीर देखकर ही समझ सकते हैं।
जिस अंबेसडर कार में बलवंत सिंह राजोआना और दिलावर सिंह पंजाब सचिवालय गए थे, उसे चंडीगढ़ पुलिस ने बरामद किया था। बेअंत सिंह और अन्य की हत्या मामले की जांच सीबीआई ने की थी। जिसमें आतंकी जगतार सिंह हवारा, जगतार सिंह तारा, नसीब सिंह, गुरमीत सिंह, शमशेर सिंह, लखविंदर सिंह, परमजीत सिंह भेवरा और बलवंत सिंह राजोआना पर आरोप तय किए गए थे। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद देखना होगा कि बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर राष्ट्रपति क्या फैसला लेती हैं। बता दें कि दया याचिका पर फैसला लेने का अधिकार राष्ट्रपति और राज्यों के गवर्नरों के पास होती है। वे दोषी को कम सजा या उसकी सजा खत्म करने का फैसला भी कर सकते हैं। राजोआना की दया याचिका पर फैसला चाहे जो हो, लेकिन इसका पंजाब और केंद्र की राजनीति में बड़ा असर पड़ना भी तय माना जा रहा है। इसकी वजह ये है कि अगर उसकी फांसी की सजा बरकरार रहती है, तो पंजाब में बीजेपी के खिलाफ माहौल बन सकता है। वहीं, सजा कम होने पर कांग्रेस की तरफ से सवाल खड़े किए जा सकते हैं।