
नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग से कराने की मांग करने वाली जनहित याचिका देश की सबसे बड़ी अदालत ने खारिज कर दी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार भी लगाई। कोर्ट ने कहा कि ऐसी याचिकाएं दाखिल कर सुरक्षाबलों का मनोबल मत गिराइए। जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि ये समय याचिका दाखिल करने का नहीं है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम ऐसे मामलों के विशेषज्ञ कब से हो गए, हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज रक्षा मामलों के विशेषज्ञ कैसे हो सकते हैं? कोर्ट ने कहा हमारा काम विवादों का निपटारा करने का है।
कोर्ट के सख्त रुख पर याचिकाकर्ता ने कहा कि वो अपनी अर्जी वापस ले रहे हैं और छात्रों के लिए कोर्ट आए थे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पलटकर कहा कि आपकी अर्जी में छात्रों के लिए एक भी प्रार्थना है नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस तरह की याचिका दाखिल करने से बचें। आप सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज से जांच कराना चाहते हैं। मामले की गंभीरता समझिए। बेंच ने कहा कि हर नागरिक के लिए ये कठिन वक्त है। वक्त की नजाकत को समझिए। जब याचिकाकर्ता ने अर्जी वापस लेने की बात कही, तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच से मांग की कि इनको हाईकोर्ट जे से भी रोका जाए।
पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को हुए भयानक आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई। इस वारदात में 17 लोग घायल हुए। पहलगाम में पर्यटकों की जान लिए जाने की जांच देश की प्रीमियर एजेंसी एनआईए को दी गई है। वहीं, सेना और अन्य सुरक्षाबलों को इस हमले के दोषियों को ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी दी गई है। पहले ही ये सामने आ चुका है कि हमलावरों में से एक पाकिस्तान की सेना का पूर्व कमांडो है। पहलगाम में पर्यटकों की हत्या करने वाले आतंकियों में कम से कम एक स्थानीय है।