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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड की जांच की याचिका की खारिज, जानिए क्या बोले CJI?

Supreme Court: सीजेआई ने कहा कि पिछले आदेश के बाद सार्वजनिक हुए इलेक्टोरल बॉन्ड के आंकड़ों में राजनीतिक दलों को चंदा देने की बातें सामने आई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एसआईटी का गठन जरूरी नहीं है क्योंकि सरकारी एजेंसियां इस मामले की जांच कर सकती हैं।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को कॉरपोरेट कंपनियों द्वारा दिए गए चंदे की जांच के लिए ‘स्पेशल इंवेस्टिगेटिव टीम’ (एसआईटी) बनाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वर्तमान स्थिति में इस कथित घोटाले की जांच की आवश्यकता नहीं है। जिन मामलों में किसी को आशंका है, वे कानूनी मार्ग अपना सकते हैं और समाधान न होने पर कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। एनजीओ ‘कॉमन कॉज’ और ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) ने याचिका में आरोप लगाया था कि इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक चंदे में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है। उन्होंने कहा कि इस मामले की सीबीआई या अन्य जांच एजेंसियों द्वारा जांच नहीं की जा रही है। इसलिए, वे सुप्रीम कोर्ट से एसआईटी के गठन की मांग कर रहे थे ताकि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो सके।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने हमसे कंपनियों और राजनीतिक दलों के खिलाफ जांच के लिए एसआईटी बनाने, गलत तरीके से लिए गए पैसों को जब्त करने, कंपनियों पर जुर्माना लगाने, कोर्ट की निगरानी में जांच और इनकम टैक्स विभाग को 2018 के बाद से राजनीतिक दलों के दोबारा असेसमेंट की भी मांग की थी।

सीजेआई ने कहा कि पिछले आदेश के बाद सार्वजनिक हुए इलेक्टोरल बॉन्ड के आंकड़ों में राजनीतिक दलों को चंदा देने की बातें सामने आई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एसआईटी का गठन जरूरी नहीं है क्योंकि सरकारी एजेंसियां इस मामले की जांच कर सकती हैं।

कोर्ट का सीधा जांच शुरू न करना

मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीद संसद द्वारा बनाए गए कानून के तहत हुई थी, और उसी कानून के आधार पर राजनीतिक दलों को चंदा मिला। यह कानून अब रद्द किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि यह याचिकाएं यह मानते हुए दाखिल की गई हैं कि राजनीतिक दलों को चंदा फायदा कमाने के लिए दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि जांच के लिए कानून में कई विकल्प उपलब्ध हैं और मौजूदा स्थिति में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जांच करवाना जल्दबाजी होगी। याचिकाकर्ताओं को दूसरे कानूनी विकल्पों का सहारा लेना चाहिए।

सीजेआई का स्पष्ट संदेश

सीजेआई ने कहा कि कानूनी विकल्प उपलब्ध रहते हुए सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करना सही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक दलों से चंदे की राशि जब्त करने या इनकम टैक्स को दोबारा असेसमेंट के लिए कहना जरूरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में एसआईटी गठन की अभी कोई आवश्यकता नहीं है। जिन मामलों में एजेंसी जांच नहीं करती या जांच बंद कर देती है, शिकायतकर्ता हाई कोर्ट जा सकता है।