newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Bihar Caste Census: सुप्रीम कोर्ट में फंस सकता है बिहार की जातिगत जनगणना का मामला, डेटा प्रकाशन के खिलाफ याचिका दाखिल, 6 अक्टूबर को सुनवाई

इस बीच, बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े प्रकाशित होने के बाद सियासत भी गरमाई हुई है। विपक्षी दलों के गठबंधन में शामिल पार्टियां इसे ऐतिहासिक बता रही हैं। जबकि, पीएम नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर जाति की सियासत करने का आरोप लगाते हुए इसे पाप बताया गया है।

नई दिल्ली। बिहार में जातिगत जनगणना का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में फंस सकता है। दरअसल, बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहले डाली गई अर्जियों पर कहा था कि इस जनगणना का डेटा कोर्ट के अगले आदेश के बिना सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। जबकि, सोमवार को बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए। इसी के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल हुई है। याचिका दाखिल करने वाले ने दलील दी कि बिहार सरकार ने डेटा जारी न करने की बात कही थी, लेकिन इसे नहीं माना। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 6 अक्टूबर की तारीख तय की है।

india opposition

इस तारीख को बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट को बताना होगा कि आखिर डेटा प्रकाशित न करने की बात कहने के बाद आंकड़े क्यों जारी किए गए। इस बीच, बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े प्रकाशित होने के बाद सियासत भी गरमाई हुई है। नीतीश कुमार की जेडीयू, सहयोगी आरजेडी और कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल जातिगत जनगणना को अब पूरे देश में कराए जाने पर जोर दे रहे हैं। समाजवादी पार्टी भी इन दलों में शामिल है, लेकिन उसके सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक किए जाने को चुनावी हथकंडा बता दिया है। इस तरह बर्क ने पार्टी लाइन के खिलाफ बयान दिया है।

modi

वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ही बिना किसी का नाम लिए विपक्षी दलों पर जाति की राजनीति करने का आरोप लगाया और इसे पाप कहा। मोदी ने ग्वालियर में कहा था कि विपक्ष में बैठे दल पहले भी गरीबों के साथ ऐसा ही छल कर चुके हैं और अब भी जाति के नाम पर सियासत कर रहे हैं। ऐसे में साफ है कि बीजेपी की तरफ से नीतीश सरकार को जातिगत जनगणना के मसले पर घेरा जाएगा। कुल मिलाकर कई राज्यों के विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव से पहले जाति की सियासत एक बार फिर चरम पर है।