
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज वक्फ संशोधन एक्ट 2025 पर सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है। पिछली सुनवाई में केंद्र की तरफ से पेश हो रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए वक्त मांगा था। केंद्र की तरफ से 1000 से ज्यादा पन्नों वाला जवाब दाखिल किया गया है। अपने जवाब में केंद्र सरकार ने ये भी कहा है कि 2013 के बाद से वक्फ संपत्तियों में 116 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। वहीं, वक्फ संशोधन एक्ट को चुनौती देने वालों की तरफ से इस दावे को गलत बताया गया है।
वक्फ संशोधन एक्ट के खिलाफ याचिका दाखिल करने वालों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि 2013 के बाद वक्फ संपत्तियों में इजाफे का सरकार का दावा गलत है। उनका कहना है कि वक्फ संपत्तियों को वामसी पोर्टल पर देरी से चढ़ाया गया। जबकि, ये 2013 के पहले वक्फ बोर्डों के अधीन आई थीं। याचिकाकर्ताओं ने वक्फ संशोधन एक्ट को रद्द करने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही वक्फ संशोधन एक्ट के कुछ प्रावधानों पर स्टे लगा चुका है। अब नजर इस पर है कि आज की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट का क्या रुख रहता है।
वक्फ संशोधन एक्ट 2025 में वक्फ बाई यूजर पर रोक लगाई गई थी। साथ ही वक्फ बोर्डों और वक्फ काउंसिल में गैर मुस्लिम सदस्यों को रखने की व्यवस्था वक्फ संशोधन एक्ट में किया गया है। इसके अलावा ये जरूरी किया गया है कि अगर कोई अपनी संपत्ति वक्फ करना चाहे, तो उसे सबूत देना होगा कि 5 साल से इस्लाम का पालन कर रहा है। इन तीनों का ही मुख्य रूप से विरोध हो रहा है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि वक्फ बाई यूजर की परंपरा काफी पुरानी है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि गैर मुस्लिम सदस्य रखना मुसलमानों के निजी मामलों में हस्तक्षेप है। याचिकाकर्ताओं ने ये अंदेशा भी जताया है कि वक्फ संशोधन एक्ट के जरिए केंद्र सरकार मुस्लिमों की संपत्ति छीनना चाहती है। वहीं, केंद्र सरकार का कहना है कि एक्ट से पहले जो भी संपत्तियां वक्फ के तहत दर्ज हुई हैं, उनको कोई खतरा नहीं है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में वक्फ संशोधन एक्ट के खिलाफ दाखिल सभी याचिकाओं को खारिज करने की अपील की है।