अवमानना केस में सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा प्रशांत भूषण पर फैसला

प्रशांत भूषण(Prashant Bhushan ) ने 27 जून को पहला ट्वीट किया गया था जिसमें उन्होंने लिखा था कि इतिहासकार भारत के बीते छह वर्षों को देखते हैं तो पाते हैं कि कैसे बिना इमरजेंसी के देश में लोकतंत्र खत्म किया गया। इसमें वे (इतिहासकार) सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) खासकर चार पूर्व सीजेआई की भूमिका पर सवाल उठाएंगे।

Avatar Written by: August 31, 2020 8:59 am
Prashant Bhushan

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को लेकर अवमानना केस में सुप्रीम कोर्ट आज सजा सुनाएगा। प्रशांत भूषण अवमानना केस में दोषी पाए गए हैं, और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित भी रख लिया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील को अपनी गलती का एहसास कराने के लिए उन्हें कई मौके दिए लेकिन प्रशांत भूषण ने माफी मांगने से मना कर दिया। अब आज उनके दोष को लेकर सजा सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट।

prashant bhushan sc

छह महीने तक की कैद हो सकती है

बता दें कि प्रशांत भूषण को सजा सुनाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से राय मांगी थी। जिस पर वेणुगोपाल ने कहा था कि प्रशांत भूषण को चेतावनी देकर छोड़ देना चाहिए। इससे पहले प्रशांत भूषण ने न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक दो ट्वीट के लिए सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगने से इनकार कर दिया था। बता दें कि अदालत की अवमानना के जुर्म में उन्हें अधिकतम छह महीने तक की कैद या दो हजार रुपये का जुर्माना अथवा दोनों की सजा हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने जताया था अफसोस

सुप्रीम कोर्ट 25 अगस्त को वकील प्रशांत भूषण से उनके द्वारा सुप्रीम कोर्ट और न्यायाधीशों के बारे में की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों पर माफी मंगवाने में सफल नहीं हो सका था। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अवमानना में दोषी ठहराए गए भूषण की सजा पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए अफसोस जताया कि जजों की निंदा की जाती है। उनके परिवारवालों को अपमानित किया जाता है और वह बोल तक नहीं सकते।

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वहीं, भूषण इस बात पर अड़े रहे कि उनके द्वारा की गई टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला नहीं था। भूषण के वकील राजीव धवन ने कहा कि अदालत को घोर आलोचना का सामना करने के लिए बड़ा दिल दिखाना चाहिए। अदालत को स्टेट्समैनशिप का परिचय देते हुए बिना किसी दंड या चेतावनी या वकालत पर पाबंदी लगाए, इस मामले को खत्म कर देना चाहिए। भविष्य में थोड़ा संयमित रहने के सामान्य संदेश देकर इस मामले को विराम दिया जाना चाहिए।

क्या था प्रशांत भूषण का ट्वीट

दरअसल प्रशांत भूषण ने 27 जून को पहला ट्वीट किया गया था जिसमें उन्होंने लिखा था कि इतिहासकार भारत के बीते छह वर्षों को देखते हैं तो पाते हैं कि कैसे बिना इमरजेंसी के देश में लोकतंत्र खत्म किया गया। इसमें वे (इतिहासकार) सुप्रीम कोर्ट खासकर चार पूर्व सीजेआई की भूमिका पर सवाल उठाएंगे।

prashant bhushan

इसके अलावा दूसरा ट्वीट 29 जून का है और इसमें प्रशांत भूषण ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे की हार्ले डेविडसन बाइक के साथ एक तस्वीर साझा की। सीजेआई बोबडे की आलोचना करते हुए लिखा कि उन्होंने कोरोना दौर में अदालतों को बंद रखने का आदेश दिया था।