नई दिल्ली। क्या सरकार आपकी निजी संपत्ति का अधिग्रहण कर उसका पुनर्वितरण यानी दूसरों में बांट सकती है? इस अहम सवाल का जवाब आज सुप्रीम कोर्ट से मिलने वाला है। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 9 जजों की बेंच निजी संपत्तियों के पुनर्वितरण के मसले पर फैसला सुनाने जा रही है। 9 जजों की संविधान पीठ ने इस मामले पर दाखिल याचिका पर सुनवाई के बाद इस साल 1 मई को फैसला सुरक्षित कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट की बेंच आज बताएगी कि क्या संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत निजी संपत्ति को सरकार सामुदायिक संसाधन मानकर उसका उपयोग लोगों के हित के लिए कर सकती है? सुप्रीम कोर्ट में बीते करीब 20 साल से लंबित इस मामले में अहम फैसला अब होने जा रहा है।
निजी संपत्ति का अधिग्रहण कर उसका पुनर्वितरण करने के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने ये सवाल पूछा था कि विदेशी सेमी कंडक्टर बनाने वाली कंपनी को पहले अगर भारत में अपना कामकाज स्थापित करने दिया जाए और फिर उसे कहा जाए कि ये समुदाय का भौतिक संसाधन है और उसे छीन लिया जाए, तो देश में फिर कौन निवेश करेगा? इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 16 याचिकाएं दाखिल हुई थीं। इन याचिकाओं में मुंबई स्थित प्रॉपर्टी ओनर्स एसोसिएशन की याचिका भी है। इस मामले में पहले 5 और फिर 7 जजों की संविधान पीठ भी सुनवाई कर चुकी है, लेकिन अब सबसे अंतिम फैसला 9 जजों की संविधान पीठ सुना रही है।
बता दें कि इस साल जब लोकसभा चुनाव हुए थे, उस वक्त संपत्तियों के पुनर्वितरण का मुद्दा बहुत गर्माया था। कांग्रेस के नेता सैम पित्रोदा ने संपत्ति के पुनर्वितरण की वकालत कर दी थी। जिसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के नेताओं ने ये मुद्दा बनाया था कि अगर कांग्रेस और विपक्ष की सरकार केंद्र में बनी, तो वो आम लोगों की संपत्ति और यहां तक कि महिलाओं का मंगलसूत्र भी ले लेगी। वैसे अगर संविधान के अनुच्छेद 39(बी) की बात करें, तो इसमें कहा गया है कि समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस तरह से वितरित हो, ताकि आम हित की पूर्ति हो सके। यानी लोगों की इससे भलाई हो सके।