
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट का आधिकारिक यूट्यूब चैनल हैक हो गया है, और हैकर्स ने चैनल पर अमेरिकी कंपनी रिपल लैब्स द्वारा विकसित क्रिप्टोकरेंसी XRP को प्रमोट करने वाले वीडियो अपलोड कर दिए हैं। इस चैनल पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठों के समक्ष आने वाले मामलों की सुनवाई का लाइव प्रसारण किया जाता है। सूत्रों के अनुसार, हैकर्स ने चैनल पर पहले से अपलोड किए गए सभी वीडियो को प्राइवेट कर दिया है, जिसमें हाल ही में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और उसकी हत्या के मामले की सुनवाई का लाइव स्ट्रीमिंग भी शामिल था।
Supreme Court of India’s YouTube channel appears to be hacked and is currently showing videos of US-based company Ripple. pic.twitter.com/zuIMQ5GTFZ
— ANI (@ANI) September 20, 2024
सुप्रीम कोर्ट की आईटी टीम ने चैनल को रिट्रीव करने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमें फिलहाल पूरी जानकारी नहीं है, लेकिन वेबसाइट के साथ छेड़छाड़ हुई है। शुक्रवार सुबह इस घटना का पता चला, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट की आईटी टीम ने इस मामले को नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) के सामने उठाया है।” फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि चैनल को किसने और कहां से हैक किया है। मामले की जांच की जा रही है, और आईटी टीम इसे ठीक करने के लिए काम कर रही है।
हैकिंग की इस घटना से सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाहियों की पारदर्शिता और सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं। जांच पूरी होने तक यूट्यूब चैनल की लाइव स्ट्रीमिंग और पहले से अपलोड वीडियो का एक्सेस बाधित हो सकता है। चैनल को पुनः प्राप्त करने और इसकी सुरक्षा को बहाल करने के लिए संबंधित टीमें सक्रिय हो गई हैं।
इस तरह की घटनाओं को लेकर भारत में क्या हैं प्रावधान?
सुप्रीम कोर्ट के यूट्यूब चैनल हैक होने की घटना साइबर सुरक्षा और डिजिटल प्लेटफार्मों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती है। भारत में साइबर अपराधों से निपटने के लिए कई कानूनी प्रावधान मौजूद हैं। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 भारत में साइबर अपराधों से निपटने का प्रमुख कानून है। इसके तहत, किसी डिजिटल प्लेटफॉर्म को हैक करना, अवैध तरीके से डेटा एक्सेस करना या डिजिटल संपत्ति को नुकसान पहुंचाना अपराध माना जाता है।
धारा 43 और 66 के तहत, यदि कोई व्यक्ति किसी कंप्यूटर सिस्टम में अनधिकृत तरीके से प्रवेश करता है, डेटा को नष्ट करता है, या सिस्टम की सुरक्षा से छेड़छाड़ करता है, तो उसे सजा और जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 379 (चोरी), 420 (धोखाधड़ी) और 465 (जालसाजी) का भी उपयोग साइबर अपराधियों के खिलाफ किया जा सकता है। हैकिंग की घटनाओं की जांच के लिए सरकार के पास CERT-In और नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) जैसी एजेंसियां हैं, जो इस तरह के मामलों को संभालने में सक्रिय भूमिका निभाती हैं।