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Swami Prasad Maurya: स्वामी प्रसाद ने दक्षिण से आए ब्राह्मणों को बताया कट्टरपंथी, लेकिन अधीनम के संत तो ब्राह्मण ही नहीं!

Swami Prasad Maurya: इस पूरे मामले पर भारतीय जनता पार्टी ने स्वामी प्रसाद मौर्या पर जोरदार प्रहार किया है। बीजेपी ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्या को शायद इस बात की खबर नहीं है कि संसद भवन में उद्घाटन समारोह के दौरान सर्वधर्म प्रार्थना सभा को आयोजित किया गया था।

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने संसद भवन के उद्घाटन के बाद ट्वीट कर दक्षिण के ब्राह्मणों को इसमें शामिल करने पर आग उगली थी। उन्होंने ब्राह्मणों को कट्टरपंथी कहा था। स्वामी प्रसाद यहीं बिना जानकारी के गच्चा खा गए। अधीनम के जो संत संसद के उद्घाटन में शामिल हुए और पीएम नरेंद्र मोदी को सेंगोल सौंपा, वे ब्राह्मण नहीं हैं। अधीनम के संत भगवान शिव को मानते हैं और पिछड़ी या अन्य पिछड़ी जातियों से होते हैं।

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इसलिए अधीनम संतो के बारे में जो कट्टरपंथी होने की बातें सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य कह रहे हैं, वह सरासर गलत है। क्योंकि अधीनम के जो भी संत हैं उन्हें तमिल साहित्य का समृद्ध ज्ञान हासिल है। वह तमिल की संस्कृति से भी गहराई से जुड़े हुए हैं। लेकिन सभी अलग-अलग जातियों के हैं, इसमें ओबीसी, बीसी के संत भी शामिल होते हैं। इसलिए स्वामी प्रसाद मौर्य जोकि अधीनम संतो को कट्टरपंथी ब्राह्मण बता रहे हैं वह बेबुनियाद बात नजर आती है।

Swami Prasad Maurya

किस जाति के हैं अधीनम संत

ये अधीनम उन समुदायों द्वारा चलाए जाते हैं जो बीसी और ओबीसी श्रेणियों के अंतर्गत आते हैं। उनके पास तमिल साहित्य का एक समृद्ध इतिहास है जो भगवान शिव की पूजा करते है। समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा इस तरह की टिप्पणी करना इन पवित्र अधीनमों और हिंदू धर्म की विविधता का अपमान है।

क्या कहा था स्वामी प्रसाद मौर्या ने

जानकारी के लिए आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट करते हुए लिखा, “सेंगोल राजदंड की स्थापना पूजन में केवल दक्षिण के कट्टरपंथी ब्राह्मण गुरुओं को बुलाया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। बीजेपी सरकार का यदि पंथनिरपेक्ष संप्रभु-राष्ट्र भारत में विश्वास होता तो देश के सभी धर्म गुरुओं यथा- बौद्ध धर्माचार्य (भिक्षुगण), जैन आचार्य (ऋषि), गुरु ग्रंथी साहब, मुस्लिम धर्मगुरु (मौलाना), ईसाई धर्मगुरु (पादरी) आदि सभी को बुलाया चाहिए था। ऐसा न कर भाजपा अपनी दूषित मानसिकता और घृणित सोच को दर्शाया है। यद्यपि कि भाजपा सरकार सेंगोल राजदंड की स्थापना कर राजतंत्र के रास्ते पर जा रही है, अपितु दक्षिण के ब्राह्मण धर्मगुरुओं को बुलाकर ब्राह्मणवाद को भी स्थापित करने का कुत्सित करने की कोशिशों में लगी हुई है।”

अब इस पूरे मामले पर भारतीय जनता पार्टी ने स्वामी प्रसाद मौर्या पर जोरदार प्रहार किया है। बीजेपी ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्या को शायद इस बात की खबर नहीं है कि संसद भवन में उद्घाटन समारोह के दौरान सर्वधर्म प्रार्थना सभा को आयोजित किया गया था।