Tabassum Sheikh: हिजाब की जगह शिक्षा को दी तरजीह, कर्नाटक की 12वीं परीक्षा में तबस्सुम शेख ने किया टॉप
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस से खास बातचीत में तबस्सुम शेख ने अपनी सफलता की कहानी साझा की। उन्होंने कहा कि पिछले साल जब कर्नाटक में हिजाब विवाद शुरू हुआ और सरकार ने हिजाब पहनकर स्कूल और कॉलेज जाने पर रोक लगा दी, तो उनको भी चिंता हुई। तबस्सुम इससे पहले हिजाब में ही स्कूल जाती थीं।
बेंगलुरु। मन में दो बातें उमड़-घुमड़ रही थीं। हिजाब को तरजीह दें या पढ़ाई को? आखिर तय किया कि हिजाब की जगह शिक्षा को तरजीह देंगी और कर्नाटक की तबस्सुम शेख ने 12वीं की परीक्षा में पूरे प्रदेश में टॉप किया। कर्नाटक प्री यूनिवर्सिटी एजुकेशन डिपार्टमेंट की पीयूसी सेकेंड एक्जाम में तबस्सुम शेख ने 600 मे से 593 नंबर हासिल कर इतिहास रचा है। तबस्सुम ने मनोविज्ञान, समाजशास्त्र और हिंदी में 100 में से 100 नंबर हासिल किए हैं। उन्होंने दिखा दिया है कि शिक्षा से बढ़कर कुछ नहीं है। तबस्सुम की इस शानदार सफलता से उनके माता-पिता भी बहुत खुश हैं।
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस से खास बातचीत में तबस्सुम शेख ने अपनी सफलता की कहानी साझा की। उन्होंने कहा कि पिछले साल जब कर्नाटक में हिजाब विवाद शुरू हुआ और सरकार ने हिजाब पहनकर स्कूल और कॉलेज जाने पर रोक लगा दी, तो उनको भी चिंता हुई। तबस्सुम इससे पहले हिजाब में ही स्कूल जाती थीं। फिर तबस्सुम ने बैठकर काफी विचार किया। उन्होंने आखिर में तय पाया कि हिजाब की जगह वो शिक्षा को चुनेंगी। तबस्सुम के मुताबिक शिक्षा हासिल करने के लिए कुछ न कुछ बलिदान करना पड़ता है। उन्होंने ऐसे में हिजाब छोड़ने का तय किया।
तबस्सुम शेख ने बताया कि वो बेंगलुरु के नागरत्नम्मा मेदा कस्तूरीरंगा शेट्टी कॉलेज फॉर वीमेन की छात्रा हैं। उन्होंने कहा कि हिजाब पर बैन लगा, तो वो इससे खुद पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंतित थीं। बैन लगने से पहले वो क्लास में भी हिजाब पहनकर जाती थीं। फिर हिजाब बैन का कर्नाटक सरकार का आदेश आया, तो तबस्सुम ने शिक्षा और हिजाब के बीच संतुलन बना लिया। वो घर से स्कूल तक हिजाब पहनकर जाती थीं। स्कूल में एक कमरे में वो हिजाब रखतीं। फिर क्लास में जातीं। वहां पढ़ाई के बाद फिर हिजाब पहनकर घर लौट आती थीं। तबस्सुम के मुताबिक उन्होंने शिक्षा को तरजीह दी। जिसका नतीजा बहुत बेहतर आया। इससे वो काफी खुश हैं।