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LG Is Boss Of Delhi: केंद्र ने अध्यादेश जारी कर LG को फिर बनाया दिल्ली का बॉस, जानिए अब केजरीवाल सरकार के सामने क्या है रास्ता?

अध्यादेश में कहा गया है कि अब आईएएस और दानिक्स अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सर्विस अथॉरिटी बनाई जा रही है। इसके अध्यक्ष दिल्ली के सीएम होंगे। साथ ही दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव और गृह सचिव सदस्य होंगे। कमेटी ही ट्रांसफर-पोस्टिंग पर फैसला करेगी। हालांकि एलजी का फैसला अंतिम होगा।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शुक्रवार देर रात एक अध्यादेश जारी कर दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) को फिर प्रशासन का बॉस बना दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को अपने एक फैसले में कहा था कि दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार राज्य सरकार को है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि मंत्रीपरिषद की राय पर ही लेफ्टिनेंट गवर्नर काम करेंगे। इसके बाद अरविंद केजरीवाल की सरकार ने कई अफसरों के ट्रांसफर की फाइल लेफ्टिनेंट गवर्नर को भेजी थी। इस पर लेफ्टिनेंट गवर्नर वीके सक्सेना ने कोई फैसला नहीं किया था। जिसके बाद शुक्रवार को सीएम अरविंद केजरीवाल और उनके तमाम मंत्री लेफ्टिनेंट गवर्नर से मिलने गए थे। रात को अध्यादेश जारी कर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदल दिया। अब संसद सत्र में इसे पास कराकर संविधान संशोधन करना होगा।

केंद्र के अध्यादेश के मुताबिक दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है। यहां की सरकार राष्ट्रपति के अधीन है। यहां विदेशी दूतावास और उच्चायोग भी हैं। ऐसे में सबकी नजर राजधानी और यहां की सियासी गतिविधि पर रहती है। अध्यादेश में कहा गया है कि अब आईएएस और दानिक्स अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सर्विस अथॉरिटी बनाई जा रही है। इसके अध्यक्ष दिल्ली के सीएम होंगे। साथ ही दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव और गृह सचिव सदस्य होंगे। कमेटी ही आईएएस और दानिक्स अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर फैसला करेगी। हालांकि, किसी विवाद में लेफ्टिनेंट गवर्नर का फैसला ही मान्य होगा। इस अध्यादेश के जारी होने के बाद दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने वीडियो जारी कर जमकर मोदी सरकार पर निशाना भी साधा। उन्होंने क्या कहा, ये सुनिए।

केंद्र की तरफ से अध्यादेश जारी होने के बाद अब आम आदमी पार्टी की सरकार के पास अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर अधिकार नहीं बचा है। इस अध्यादेश को हालांकि सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है, लेकिन आम तौर पर सुप्रीम कोर्ट कार्यपालिका के कदम पर हस्तक्षेप नहीं करता। अब आम आदमी पार्टी को इस अध्यादेश को पास न होने देने के लिए विपक्षी दलों से बात करनी होगी और संसद में इसे कानून बनने से रोकना होगा। तभी सुप्रीम कोर्ट से अधिकार पर दिया गया फैसला वापस लागू हो सकता है। ऐसे में फिलहाल लेफ्टिनेंट गवर्नर दिल्ली के बॉस हो गए हैं और दिल्ली सरकार के हाथ आया अधिकार छिन गया है।