नई दिल्ली। नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर शुरू हुआ सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल होने से सभी विपक्षी दलों ने इनकार कर दिया है। दरअसल, उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित नहीं किए जाने पर विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई है और इसे संविधान के खिलाफ बताया है। वहीं, अब यह पूरा माजरा सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। दरअसल, कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है, जिसमें भारत सरकार और लोकसभा सचिवालय को निर्देश देने की मांग की गई है कि वो नए भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को आमंत्रित करें और उनके हाथों ही नए उद्घाटन करवाए। आइए, आगे आपको बताते हैं कि याचिका में क्या मांग की गई है ?
याचिका में क्या मांग की गई है ?
दरअसल, याचिका में कहा गया है कि नया संसद भवन एक विधायी संस्था है। इसमें भारत के राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा को शामिल किया गया है। इन्हीं तीनों को मिलाकर ही संसद का निर्माण होता है। वहीं, राष्ट्रपति के पास किसी को भी बुलाने की शक्ति है, सत्रवासन की शक्ति है, वहीं संसद को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास ही है। बता दें कि यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील सीआर जया सुकिन ने दाखिल की है। इन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग है। संसद से संबंधित सभी फैसले इन्हीं के द्वारा लिए जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी केंद्र ने इन्हें उद्घाटन समारोह से दरकिनार कर इनका अपमान किया है, जिसकी भत्सर्ना की जानी चाहिए।
विपक्षी दलों का विरोध भी जारी
उधर, नए संसद भवन को लेकर विपक्षी दलों का विरोध भी जारी है। विपक्षी दल लगातार इस बात पर आपत्ति जता रहे हैं कि आखिर उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को क्यों नहीं आमंत्रित किया है। इतना ही नहीं, सभी विपक्षी दलों ने साझा बयान जारी कर नए राष्ट्रपति भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया है, जिसे लेकर विवाद जारी है। बहरहाल, अब यह विवाद आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।
विपक्षी दलों के विरोध की वजह
दरअसल, विपक्षी दलों का कहना है कि नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों नहीं, बल्कि राष्ट्रपति के हाथों होना चाहिए, क्योंकि संसद का विधायी प्रमुख राष्ट्रपति होता है। लेकिन, आगामी 18 मई को होने जा रहे नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री करने जा रहे हैं, ना की राष्ट्रपति, जिसे लेकर विपक्षी दलोंं का विरोध जारी है।
ये दल नहीं होंगे शामिल
इन दलों में कांग्रेस, डीएमके (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम), AAP, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी, भाकपा, झामुमो, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, रालोद, टीएमसी, जदयू, एनसीपी, सीपीआई (एम), आरजेडी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मरुमलार्ची द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) शामिल हैं।
इन दलों ने किया समारोह का समर्थन
उधर, जहां एक तरफ जहां कुछ दल इस उद्घाटन समारोह का विरोध कर रहे हैं, तो वहीं कुछ दलों ने इस समारोह का खुलकर समर्थन किया है। जिसमें पंजाब की अकाली दल, ओडिशा की नवीन पटनायक और जगनमोहन रेड्डी YSRCP शामिल होंगे। इसके अलावा मायावती पार्टी ने भी इस समारोह में शामिल होने की इच्छा जाहिर की है, लेकिन अभी जिस तरह से इस पूरे मसले को लेकर विपक्षी दलों ने केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, उसे देखते हुए अब यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।