नई दिल्ली: यूनिफार्म सिविल कोड के मुद्दे ने देशभर में राजनीतिक गलियारे को तेजी से पकड़ लिया है। जमीयत उलेमा ए हिंद के सदर मौलाना अरशद मदनी ने हाल ही में इस मामले पर बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि देश के मुसलमान बीते 1300 सालों से अपने निजी कानूनों का पालन कर रहे हैं और उन्हें इसमें किसी बदलाव की जरूरत महसूस नहीं होती। मौलाना मदनी के मुताबिक सरकार का इस संबंध में काेई नीतिगत रुझान नहीं है, बल्कि उसका मकसद राजनीतिक लाभ हासिल करना है। तथापि, उन्होंने लोगों से यही कहा है कि वे इसके विरोध में न उतरें, सड़कों पर न निकलें। वह यह भी कहते हैं कि इससे हिंदू-मुस्लिम में तनाव बढ़ेगा।
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“न विरोध करेंगे, न सड़कों पर उतरेंगे।”
जमीयत उलेमा ए हिंद के सदर मौलाना अरशद मदनी का ABP News पर बड़ा ऐलान–
“यूनिफॉर्म सिविल कोड का न तो एहतिजाज (विरोध) करेंगे, न सड़कों पर उतरेंगे।
जितना ही इसका विरोध किया जाएगा, उतना ही हिंदू-मुस्लिम होगा।” pic.twitter.com/wljEYrk02G
— abhishek upadhyay (@upadhyayabhii) June 17, 2023
बरेली वाले इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा ने यह बीजेपी का चुनावी स्टंट बताया है। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी इस मुद्दे को चुनावी फायदे के लिए उठा रही है। वे कहते हैं, “हमने भी चूड़ियां नहीं पहनी हैं। अगर सरकार कोई कठोर कार्रवाई नहीं करती है तो हम उत्तराखंड सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे।” मौलाना तौकीर रजा के इस बयान से स्पष्ट होता है कि वह यूनिफार्म सिविल कोड को न केवल धार्मिक मुद्दे के रूप में देख रहे हैं, बल्कि इसे राजनीतिक हथकंडों का भी एक तरीका मान रहे हैं।
इसके अतिरिक्त, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने समान नागरिक संहिता के खिलाफ कड़ा विरोध दिखाया है और कहा है कि इसका अपने देश के लिए अनावश्यक, अव्यावहारिक और हानिकारक परिणाम हो सकता है। बोर्ड ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि संसाधनों को व्यर्थ करके फूट के कारण नहीं बनाना चाहिए।